Agra News: आगरा फोर्ट स्टेशन से लापता हुआ बच्चा 10 साल बाद मिला, मां-बाप हुए भावुक
Agra Missing Child: आगरा फोर्ट स्टेशन से कभी गायब हुआ बच्चा 10 साल बाद अपने मां बाप से मिला. साल 2012 में 2 वर्षीय बालक सोम जब लावारिस हालत में मिला
UP News: आगरा फोर्ट स्टेशन से कभी गायब हुआ बच्चा 10 साल बाद अपने मां बाप से मिला. एक तरफ उसने अपने मां-बाप को खो दिया था तो वहीं दूसरी तरफ फिरोजाबाद के बाल गृह में रह रहे अपने छोटे भाई के लिए वह लंबे समय से संघर्ष कर रहा था. इसी बीच उसे जानकारी मिली कि इटली की दंपत्ति ने उसके भाई को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. उसकी एक ही ख्वाहिश थी उसके छोटे भाई को किसी भी तरह उसे सुपुर्द कर दिया जाए. जिस छोटे भाई को वह ढूंढने निकला था उसी के चलते वह अपने मां बाप से भी अलग हो गया था.
बच्चे से मिलकर मां-बाप भावुक हुए
अपने बिछड़े हुए बच्चे से मिलकर सुनीता और राजकुमार के मुंह से कुछ टूटे-फूटे शब्द निकल रहे थे. लेकिन आंखें बता रही थी कि अपने कलेजे के टुकड़ों को देखे बिना अरसा बीत गया था और अब आंखें भी पथरा रही थी. कुछ महीने पहले बेंगलुरु के एक एनजीओ में काम करने वाली महिला जब विकास को लेकर आगरा पहुंची तो उसने एबीपी न्यूज से बात की. महिला का नाम जननी है जो ऐसे ही बच्चों के पुनर्वासन के लिए काम करने वाले एनजीओ में काम करती है. उसने बताया कि कैसे वो विकास के साथ कई बार आगरा आ चुकी थी. विकास को अपने मां-बाप के बारे में पता था, वो ये दावा जरूर करता था कि फिरोजाबाद के बाल गृह में उसका छोटा भाई रहता है. सोम को वहां का प्रशासन इटली के दंपत्ति को गोद देने जा रहा है.
कोर्ट ने ये आदेश दिया
अधिकारियों ने जानकारी देते हुए पूरी कहानी में चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस से अवगत कराया. नरेश पारस के प्रयासों से विकास के दावे पर कोर्ट ने 23 जुलाई को फिरोजाबाद की सीडब्ल्यूसी को उसके छोटे भाई सोम को लेकर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है. युवक का दावा है कि वह बालक का बड़ा भाई है. राजकीय शिशु गृह द्वारा बालक को गोद देने की जगह उसके सुपुर्द किया जाए. वह उसकी देखरेख करने में सक्षम है.
दूसरी तरफ चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस के प्रयासों से साल 2012 के बाद आगरा किले के सामने रह रहे मजदूर सुनीता और राजकुमार को अपना बड़ा बेटा विकास मिल चुका है. अब उसे अपने छोटे भाई सोम को परिवार के पास लाना है. विकास ने बताया कि आगरा फोर्ट स्टेशन पर मेरा भाई खो गया था और उसे ढूंढने के लिए मैं ट्रेन में सवार हो गया. उन्होंने आगे कहा कि कई शहरों में भटकने का जो सिलसिला जारी हुआ, वो अब जाकर खत्म हुआ.
2012 में लावारिश हालत में मिला था
साल 2012 में 2 वर्षीय बालक सोम जब लावारिस हालत में मिला. उसे बाल कल्याण समिति के सामने भेजा तो राजकीय शिशु गृह भेजने के आदेश दिए गए. सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार बालक की 18 साल की उम्र होने पर उसे लखनऊ भेज दिया गया. वहां से उसे एक सामाजिक संस्था अपने साथ बेंगलुरू ले गई. वहां उसे व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया गया. युवक अब बेंगलुरू में एक कंपनी में काम कर रहा है.