UP News: आगरा (Agra) में ईसाई समाज (Christian Community) से जुड़ी कमेटियों ने यह फैसला किया है कि कब्रिस्तानों (Graveyard) में अब लीज पर कब्र दी जाएगी और दफनाने वाले व्यक्ति के परिवार का उस कब्र पर मालिकाना हक पर केवल पांच साल का ही रहेगा. इसके लिए व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है. अभी तक उनके प्रियजन कब्र को पक्का करा लेते थे और उस पर नाम लिखवा दिया करते थे लेकिन अब आवंटित किए गए प्लॉट पर जितने भी लोगों को दफनाया जाएगा उनका बारी-बारी से नाम पत्थर पर खुदवा दिया जाएगा जिससे कोई एक व्यक्ति अपना अधिकार नहीं जमा सकेगा.

 

इस वजह से कम पड़ गई कब्रिस्तान में जगह

आगरा में ईसाई समाज के चार प्रमुख कब्रिस्तान हैं जहां लोगों को दफनाया जाता है लेकिन कोरोना काल में जिस तरह से बड़ी संख्या में ईसाई समाज के लोगों की मौत हुई है उसी समय से कब्रिस्तान में जगह की कमी पड़ने की समस्या सामने आने लगी. इसको लेकर फादर मून लाजरस जो सेंट लॉरेंस सेमिनरी के आध्यात्मिक निर्देशक हैं. उनका कहना है कि ईसाई समाज एक तरफ लीज पर कब्र देने की ओर बढ़ रहा है.

 

वहीं दूसरी तरफ फैमिली ग्रेव पर भी काम कर रहा है क्योंकि आगरा में करीब 10000 आबादी वाले इस समाज के जितने भी कब्रिस्तान हैं वहां वह लगभग पूरी तरह से भर चुके हैं. ऐसे में पांच साल की लीज पर देने की बात को समाज के ज्यादातर लोगों ने रजामंदी दे दी है. इस प्लॉट को सामान्य कब्रों से और ज्यादा गहरा खोदा जाएगा ताकि स्लेव बनाकर उसमें ताबूतों को रखा जा सके और सामान्य कब्रों की गहराई से ज्यादा इन कब्रों की गहराई की जाएगी.

 


 

आगरा में मौजूद हैं ये कब्रिस्तान

आगरा की बात की जाए तो आगरा में चार प्रमुख कब्रिस्तान हैं जिसमें गोरों का कब्रिस्तान ग्वालियर रोड पर स्थित है जो कैंट इलाके में आता है ऐसे साथी भगवान टॉकीज इलाके में मार्टस कब्रिस्तान है जिसको भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संरक्षित करता है, इसके साथ ही तोता का ताल और मरियम टॉम्ब के पीछे ईसाई समाज का कब्रिस्तान है. सभी कब्रिस्तानों में जगह की कमी की वजह से लीज पर देने और फैमिली ग्रेव पर अंतिम मुहर आने वाले 2 नवंबर को लग सकती है क्योंकि उस दिन ईसाई समाज की बड़ी मीटिंग होने वाली है. 

 

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