आगरा: स्वास्थ्य विभाग पर कोरोना के आंकड़ों में हेराफेरी करने के तमाम आरोप हमेशा से लगते रहे हैं. लेकिन, आगरा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने कोरोना काल में आगरा प्रशासन की कलई खोल दी है. मामला आगरा के गढ़ी भदोरिया स्थित शकुंतला नगर का है.
निगेटिव आई एंटीजन रिपोर्ट
दरअसल, 52 वर्षीय मीरा देवी की हालत 20 अप्रैल खराब हुई थी. जिसके बाद मीरा देवी के बेटे महेंद्र पाल सिंह मां को घर के नजदीकी डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने मीरा देवी का कोरोना टेस्ट करवाने की बात कही. जिसके बाद महेंद्र अपनी मां को लेकर आगरा के आईएसबीटी में चल रहे अस्थायी कोरोना जांच केंद्र पर पहुंचे. जांच करने पर मीरा देवी की एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आई, जिसके बाद महेंद्र अपनी मां को लेकर घर चले गए.
22 अप्रैल को हुई महिला की मौत
घर आने के कुछ देर बाद मीरा देवी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. तबीयत बिगड़ने पर महेंद्र सिंह अपनी मां को शहर के एक नामी प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे. अस्पताल में मीरा देवी की रिपोर्ट को पॉजिटिव बताकर उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती करने को कहा गया. रात भर भटकने के बाद दूसरे दिन परिवार को एक छोटा अस्पताल मिला जंहा उन्हें एडमिट किया गया. मगर दूसरे ही दिन 22 अप्रैल को मीरा देवी की मौत हो गई.
सैंपल कलेक्शन की डेट 9 मई 2021 दी गई
असल बात तो अब शुरू होती है. महेंद्र सिंह का कहना है कि मां की मौत के बाद वो लगातार रोजाना अपनी और अपने माता-पिता की आरटीपीसीआर रिपोर्ट ऑनलाइन सरकारी पोर्टल पर देखते रहे. महेंद्र के अनुसार दो चार दिन के बाद ही उनकी और पिता की रिपोर्ट ऑनलाइन आ गई, मगर मां मीरा देवी की रिपोर्ट सामने नहीं आई. करीब 19 दिन बाद 9 मई को मां की ऑनलाइन रिपोर्ट सामने आई. इसमें हैरान करने वाली बात ये थी कि सैंपल कलेक्शन की डेट 9 मई 2021 दी गई थी.
प्रशासन के पास नहीं है जवाब
अब सवाल ये उठता है कि मृत महिला ने जो एंटीजन सैंपल 20 अप्रैल दिया था उसकी जांच रिपोर्ट 19 दिन बाद 9 मई को कैसे आई. इतने दिन सैंपल कंहा था. दूसरी बड़ी लापरवाही ये थी कि 9 मई को कलेक्शन डेट क्यों दिखाई दी, जबकि महिला की मौत 22 अप्रैल को हो चुकी थी. एब ऐसे में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं जिनका जवाब प्रशासन के पास नहीं है. मामले को लेकर सीएमओ आगरा इसे टाइपिंग मिस्टेक बता रहे हैं.
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