UP Assembly Election 2022: हार की हसरत लिए आगरा में एक प्रत्याशी हर बार पर्चा भरता है और हर बार हारता है. लेकिन उसे संविधान ने जो अधिकार दिए हैं उस पर उसे गर्व है. लोकतंत्र में हर व्यक्ति को चुनाव लड़ने की आजादी है, इसी अधिकार के तहत हसनूराम आंबेडकरी ने 95वीं बार चुनाव लड़ने के लिए एक बार फिर से नामांकन पत्र खरीदा है. 


आगरा के खैरागढ़ इलाके के नगला दूल्हे खां के रहने वाले हसनूरम आंबेड़करी की भले ही उम्र आज 75 साल हो चुकी है, लेकिन चुनाव लड़ने का जोश और जुनून ऐसा है कि लड़खड़ाते कदमों के साथ वह एक बार फिर से नामांकन पत्र खरीदने कलेक्ट्रेट में दिखाई दिए. इस बार वो एक नहीं दो-दो विधानसभाओं से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इस साल यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने आगरा जिले की खेरागढ़ और आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है.


राष्ट्रपति से लेकर पंचायत चुनाव तक लड़ चुके हैं


राष्ट्रपति से लेकर पंचायत चुनाव तक हर चुनाव हसनूराम आंबेडकरी लड़ चुके हैं और हर बार उनकी हार हुई है. लेकिन वो हार में भी अपनी जीत देखते हैं. हसनूराम आंबेडकरी की चुनाव लड़ने की शुरुआत कैसे हुई, इस पर उनका कहना है कि खेरागढ़ तहसील में संग्रह अमीन था. साल 1985 का दौर रहा होगा, मैं बामसेफ का पदाधिकारी था, मैं चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन किसी ने कहा कि तुम्हें तो तुम्हारी पत्नी भी वोट नहीं देंगी. बस यही बात दिल को चुभ गई और सिलसिला शुरू हो गया चुनाव लड़ने का.


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