आगरा: अधिकारियों की लापरवाही से गरीबों को नहीं मिल पा रहा था उनका हक, जिम्मेदारों ने अब जाकर ली सुध
यूपी के आगरा में साल 2012 में ही जो आवास बनकर तैयार हो गए थे वो अब महज खंडहर से ज्यादा कुछ नहीं बचे हैं. दीवारों में जगह-जगह दरारें नजर आ रही हैं, प्लास्टर उखड़ गया है. अधिकारियों ने सुध ली गई है तो उम्मीद जग रही है कि गरीबों को उनका हक मिलेगा.
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आगरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना है कि हर गरीब के सिर पर छत हो. लेकिन ताजनगरी में आगरा विकास प्राधिकरण अब तक एक ऐसा विभाग बना हुआ था भ्रष्टाचार का बोलबाला था. जनता से जुड़ी किसी भी योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा था. ऐसे में नवागत एडीए उपाध्यक्ष राजेंद्र पेंसिया के आने के बाद स्थिति में बदलाव दिख रहा है.
नहीं मिल रहा गरीबों का हक मंगलवार को आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेंद्र पेंसिया और नगर आयुक्त निखिल फुंडे की अध्यक्षता में कई विभागों के अधिकारियों की मीटिंग हुई. मीटिंग पथौली स्थित वायु विहार इलाके के कांशीराम आवास योजना के तहत बने शहरी गरीबों के उसी प्रोजेक्ट में रखी गई जो पिछले एक दशक से सफेद हाथी की तरह खड़ी हुई है. यहां गरीबों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है.
खंडहर में तब्दील हुए आशियाने मायावती की सरकार में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से बने 320 आवास आज पूरी तरह खंडहर की स्थिति में हैं. जब एबीपी गंगा की टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि साल 2012 में ही जो आवास बनकर तैयार हो गए थे पिछले 9 सालों में वो आवास अब महज खंडहर से ज्यादा कुछ नहीं बचे हैं. दीवारों में जगह-जगह दरारें नजर आ रही हैं, प्लास्टर उखड़ गया है, घरों की चौखट, लोहे और लकड़ी के सामान को असामाजिक तत्वों ने पूरी तरह से बरबाद कर दिया है.
बदलेंगे हालात ऐसे में अब जब सुध ली गई है तो उम्मीद जग रही है कि गरीबों को उनका हक मिलेगा. तय किया गया है कि 6 महीनों में स्थिति को सुधार कर इन आवासों को उन गरीबों को सुपुर्द कर दिया जाए, जिनका आवंटन काफी पहले हो चुका है. अभी तक पानी, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की वजह से आवंटितों को कब्जा नहीं दिया गया था. ये है योजना आगरा मंडलायुक्त ने निर्देश दिया है कि पथौली इलाके में कांशीराम आवास योजना के तहत बने इन आवासों का नगर निगम सुपरविजन करेगा. जल निगम, बिजली और अन्य विभागों से इन आवासों की मरम्मत का एस्टीमेट मांगा गया है ताकि शासन को भेजकर इस योजना के लिए पैसा स्वीकृत कराया जा सके और 6 महीने में गरीबों को यहां बसाया जा सके.
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