Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में एक सरकारी स्कूल का हाल बदहाल है. यहां एक ऐसा प्राथमिक विद्यालय है, जहां सिर्फ एक कमरा है और 108 छात्र इसमें पढ़ने आते हैं. यह हाल सैंया इलाके के नगला तेजा गांव के प्राथमिक विद्यालय का है. विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाएं संचालित की जाती हैं. स्कूल में पढ़ने वाले कुछ छात्र-छात्राएं क्लास में बैठते हैं, तो कई ऐसे भी हैं जिन्हें नीम के पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है. जो क्लास है भी उसमें बच्चों के साथ मिड डे मील का राशन रखा जाता है. परिसर में बना एक कमरा आंगनवाड़ी केंद्र का है, जिसे स्कूल के टीचर मान मनोबल करके बच्चों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल में ले रहे हैं. इस सरकारी विद्यालय की हालात बेहद खराब है.
इसलिए रुका हुआ है बिल्डिंग का ध्वस्तीकरण
विद्यालय की पुरानी बिल्डिंग बुरी तरह जर्जर हो चुकी है जिसमें ताला लगा हुआ है. पुरानी बिल्डिंग धराशाई होने की कगार पर है. परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. विद्यालय में कार्यरत प्रधानाध्यापक और टीचर कई बार बेसिक शिक्षा अधिकारी से गुहार भी लगा चुके हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात जैसा रहा है. बिल्डिंग को गिराने के लिए पीडब्ल्यूडी ने ₹1 लाख 30000 की बिड खोली है लेकिन कोई भी इस बिड पर विद्यालय का मलबा खरीदने को तैयार नहीं है. स्कूल में प्रधानाध्यापक इंद्र कुमार के साथ 3 टीचर पढ़ाने आते हैं. दो टीचर क्लास में पढ़ाते हैं जबकि प्रधानाध्यापक इंद्र कुमार नीम के पेड़ के नीचे बोर्ड पर अपनी क्लास लगाते हैं. बच्चे नीम के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ते हैं.
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स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बताई यह बात
प्रधानाध्यापक ने कहा कि स्कूल की हालत बेहद खराब है. बात स्कूल के प्रधानाध्यापक इंद्र कुमार से की गई तो उन्होंने भी कैमरे पर सच्चाई बयां की. प्रधानाध्यापक इंद्र कुमार ने बताया कि स्कूल की पुरानी बिल्डिंग बेहद खराब है. स्कूल के पास केवल एक कमरा है. एक कमरे में स्कूल चल रहा है. 3 क्लास के बच्चे एक क्लास में पढ़ते हैं. एक क्लास के बच्चों की नीम के नीचे क्लास लगती है. बच्चे क्लासरूम ना होने की वजह से जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं. आंगनवाड़ी वालों से उन्होंने कमरा उधारी पर ले रखा है.
नीम के पेड़ के नीचे चलती है क्लास
आगे उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी वाले नहीं रहते तो वह बच्चों को क्लास रूम में पढ़ा लेते हैं. स्कूल में फर्नीचर तो है ही नहीं. क्लास हो या नीम का पेड़, बच्चों को नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है. प्रधानाध्यापक इंद्र कुमार ने बताया कि खुद बीएसए स्कूल का निरीक्षण कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हो पाया है. इसके अलावा जब से डीबीटी की रकम सीधे बच्चो के अभिभावको के खाते में जाने लगी है, कई बच्चे बिना ड्रेस के स्कूल आते हैं. अधिकांश बच्चे चप्पल पहनकर स्कूल जाते है. स्कूल की हालात बेहद खराब है.
मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक ने कही ये बात
मामले पर मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक महेश चंद्र ने कहा कि हमारे जनपद में जो पुराने जर्जर विद्यालय हैं, आगरा के साथ साथ हर जनपद में हैं. मैं आपको एक डाटा दे सकता हूं कि इस मंडल में चार जनपद हैं जिसमें 1400 विद्यालयों का चिन्हीकरण जर्जर विद्यालयों के रूप में हुआ है, उसमें भी जो तकनीकी समिति जिला स्तर पर बनी हुई है, उसमें से उनके द्वारा उनकी वैल्यू निकाली गई है, उसमें वो विद्यालय है. जैसे आगरा में हमारे यहां पर 168 विद्यालय ध्वस्त तो हो गए लेकिन 33 विद्यालय ऐसे हैं उनका मूल्याकांन हुआ लेकिन उनकी कीमत तकनीकी समिति ने अधिक रखी है, तो वो नीलाम नहीं हो पाए हैं, उसी में नगला तेजा का मामला है, ऐसे में फिर से फाइल डीएम साहब द्वारा तकनीकी समिति को भेजी गई है, जिसका परीक्षण करके उसकी नीलामी की कार्रवाई की जाएगी.