UP News: आगरा जिलाधिकारी ऑफिस के बाहर दृष्टिहीन छात्र और दृष्टिहीन टीचर धरना देने को मजबूर हैं. महाकवि सूरदास दृष्टि बाधित स्कूल के दृष्टिहीन छात्र और दृष्टिहीन टीचरों का आरोप है कि आए दिन वन विभाग और सिंचाई विभाग की तरफ से परेशान किया जाता है. उन्होंने दानदाताओं और रिश्तेदारों से कीठम झील में टिकट वसूली पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि स्कूल की चाहरदीवारी ना होने की वजह से जंगली जानवर, सांप, बिच्छुओं के खतरे का सामना करना पड़ता है. आंदोलनकारियों ने डूब क्षेत्र के नाम पर तमाम तरह की थोपी गई बंदिशों को तत्काल हटाने की मांग की है. धरना स्थल पर आंदोलनकारियों ने नारेबाजी कर विरोध जताया और हारमोनियम की धुन पर जोशीले गाने गाए. आंदोलन के लंबा खिंचने पर उन्होंने पीछे नहीं हटने की चेतावनी दी.
आंदोलन को मजबूर ब्लाइंड स्कूल के टीचर और छात्र
आंदोलनकारियों ने धरना स्थल पर खाना बनाने की भी व्यवस्था की है. दरअसल, आगरा मथुरा हाईवे पर कीठम झील से लगते हुए इलाके को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया गया है. उसी इलाके में एक किनारे पर दृष्टिबाधित बच्चों का महाकवि सूरदास दृष्टिबाधित स्कूल है. धरने पर बैठे प्रिंसिपल महेश कुमार का कहना है कि 1976 से संचालित स्कूल के नाम करीब 10 एकड़ जमीन है. 5 एकड़ में स्कूल स्थापित है और 5 एकड़ में उद्यान विभाग की तरफ से जमीन का सौंदर्यीकरण किया गया है. लेकिन आए दिन वन विभाग और सिंचाई विभाग के कर्मचारी दृष्टिबाधित बच्चों, टीचरों और अन्य स्टाफ को परेशान करते हैं.
स्थाई समाधान तक धरने पर बैठने का किया एलान
प्रदर्शनकारियों ने वन दारोगा की अभद्रता पर भी नाराजगी जताई. उन्होंने पुराने कंट्रोलर को हटाकर नई नियुक्ति की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने बताया कि जिलाधिकारी रहे गौरव दयाल ने स्कूल संचालन के लिए 5 कंट्रोलर की नियुक्ति की गई थी लेकिन कंट्रोलर स्कूल संचालन में सहयोग नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में नए कंट्रोलर नियुक्त किए जाएं. एडीएम सिटी अनूप कुमार दृष्टिबाधित बच्चों को मनाने पहुंचे. उनके काफी मान मनौव्वल से भी दृष्टिबाधित छात्र नहीं माने. बाद में डीएफओ आरुषि मिश्रा ने भी मनाने की कोशिश की लेकिन समस्या के स्थाई समाधान तक उन्होंने धरने पर बैठने का ऐलान किया.