Maha Kumbh 2025: आगरा की एक नाबालिक एक छात्रा प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में पहुंची और साध्वी बनने की ठान ली. इसके लिए छात्रा ने भगवा कपड़े धारण कर लिए और संन्यास का ऐलान कर दिया. जब इसकी चर्चाएं होने लगी तो छात्रा को अखाड़ा में दीक्षा देने वाले महंत को अखाड़ा से निष्कासित कर दिया गया. आगरा की 15 वर्षीय गौरी जो प्रयागराज में जूना अखाड़ा में पहुंचकर साध्वी बन गई थी, वह अब अपने घर वापस लौट आई है. गौरी परिवार के साथ बैठी है पर बाते साध्वी बनने की ही कर रही है.


गौरी की घर वापसी तो हुई है लेकिन छात्रा की वेशभूषा भगवामय नजर आ रही. छात्रा गौरी ने कहा है कि, वह हमेशा इसी रूप में रहेंगी. बचपन से ही यही रूप अच्छा लगता है. आगरा के गांव टरकपुरा की गौरी जूना अखाड़े की दीक्षा लेकर साध्वी बन गई थी, वहीं 15 वर्षीय की नाबालिग को साध्वी बनाकर दान के रूप में प्राप्त करने वाले जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया. नाबालिक छात्रा के साध्वी बनने के बाद काफी चर्चाएं हुई थीं. अभी गौरी महाकुंभ प्रयागराज से अपने घर आगरा वापस आ गई है और अभी भी गौरी साध्वी के रूप में रह रही है.


साध्वी बनने  से रोका तो गंगा कूदकर दे दूंगी जान- गौरी
गौरी का कहना है कि अभी भी वह साध्वी के रूप में रहेंगी और गुरुकुल में पढ़ाई कर बालिग होने पर फिर से अखाड़े में वापस जाएंगी. गौरी ने कहा कि मैने अपने परिजनों से कहा था कि मुझे साध्वी बनना है, अगर मुझे साध्वी बनने से रोक जायेगा तो 'गंगा में कूद जाऊंगी', अगर साध्वी नहीं बनी तो गंगा में कूद कर जान दे दूंगी. महाकुंभ प्रयागराज में जूना अखाड़ा में महंत भी नाबालिक संत बन सकते है तो मेरे साध्वी बनने पर इतनी बाते क्यों हो रही है . 


गौरी को जानने वाले बताते है कि बचपन से ही गौरी पूजा पाठ में ही व्यस्त रहती हैं. गौरी को हमेशा धार्मिक बातें करते हुए ही देखा है. महाकुंभ से आगरा लौटी गौरी का कहना है कि जब हमारे गांव में श्रीमद् भागवत कथा हुई थी, उसी समय से मेरे मन यही था कि मुझे भी इसी तरह से जीवन जीना है. में भी साध्वी बनना चाहती हूं, उनकी कोई गलती नहीं है, में अब गुरुकुल में रहकर पढ़ाई करूंगी और जब बड़ी हो जाएंगी तो फिर वापस अखाड़ा जाऊंगी, अब हमेशा भगवा कपड़े ही पहनूंगी और इसी तरह का जीवन बिताना है.


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