आगरा: पुरानी कहावत है कि 'करे कोई भरे कोई'. दो सरकारी दफ्तरों के समन्वय ना होने की सजा अब गरीबों को मिल रही है. आगरा से ऐसा ही मामला सामने आया है. थाना लोहामंडी क्षेत्र के राजनगर नई आबादी में प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित लोगों को उनका आशियाना उजड़ने का डर सता रहा है.


डरे हुए हैं लोग
दरअसल, रेलवे लाइन से लगती हुई राजनगर नई आबादी में झोपड़ी में रह रहे 20 लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया और डूडा ने सर्वे के बाद 4 लोगों के खाते में योजना के तहत आने वाली राशि भी स्थानांतरित कर दी. ऐसे में लाभार्थियों ने अपने आवास बना लिए. अचानक से एक दिन रेलवे में काम करने वाले मजदूर पहुंचते हैं और उनके आशियाने की छत पर हथौड़ा चलाने लगते हैं. पल भर में ही उनकी छत को तोड़ दिया जाता है. स्थानीय लोगों के विरोध के बाद प्रवर्तन दल तो वापस चला जाता है लेकिन अभी भी लोगों इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि उनका घर उजड़ जाएगा.


लोगों को सता रहा है डर
हेमलता के पास डूडा का नोटिस है और वो कहती हैं कि ''जाएं तो जाएं कहां, जो पैसे इस योजना से मिले थे उससे उन्होंने घर बनवा लिया है और नोटिस में ये लोग पैसे वापसी की बात कर रहे हैं. हम तो रोज कमाने-खाने वाले लोग हैं. कैसे 2 लाख का इंतजाम करेंगे और पैसे वापस करेंगे.'' हेमलता के पति तीन पहियों वाला रिक्शा चलाते हैं और 6 संतानें हैं. परिवार को बेघर होने का डर सता रहा है. ऐसा ही कुछ हाल राधा का है जिनके घर को भी तोड़ दिया गया है. राधा के पति भी मजदूरी करके पेट पालते हैं.


पिस रहा है गरीब आदमी
झोपड़ी में रह रहे लोगों की लड़ाई लड़ रहे समाजसेवी नरेश पारस कहते हैं कि ये लोग 20 साल से रह रहे हैं. डूडा के सर्वेयर ने गलत सर्वे किया और इसका खामियाजा इन लोगों को मिल रहा है. अधिकारियों और विभागों के समन्वय की कमी से गरीब आदमी पिस रहा है. जब नगर निगम ने रेलवे लाइन से लगती हुई जमीन पर रोड बना दी और टॉरेंट पावर ने बिजली कनेक्शन दे दिए तो रेलवे ने उस समय क्यों नहीं आपत्ति जताई. साथ ही कुछ चुनिंदा घरों को छोड़कर रेलवे लाइन से लगे घरों को क्यों छोड़ा जा रहा है ये भी बड़ा सवाल है.




सबके लिए समान नीति होनी चाहिए
जब मामला आगरा मेयर नवीन जैन के संज्ञान में लाया गया तो वो खुद अधिकारियों से बात करने की बात कह रहे हैं. मामले को लेकर कहीं ना कहीं डूडा पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं कि कैसे सामंजस्य और समन्वय की कमी के चलते गरीबों के आशियाने पर खतरा मंडरा रहा है. सभी के लिए समान नीति होनी चाहिए.


नहीं दिया गया नोटिस
जब एबीपी गंगा की टीम ने इस पूरे मामले को लेकर रेलवे से उनका पक्ष जानना चाहा तो आगरा रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी एसके श्रीवास्तव ने कहा कि हमारी तरफ नोटिस नहीं दिया गया है. लेकिन, हमारी सम्पत्ति में कोई अतिक्रमण होता है तो सतत प्रक्रिया के तहत रेलवे अपना अभियान चलाता रहता है.



गलती मानने को तैयार नहीं
वहीं, डूडा विभाग जो सबसे ज्यादा दोषी है अपनी गलती मानने को ही तैयार नहीं है. डूडा का क्लस्टर हेड संतोष चौगले का कहना है कि इस योजना में 10 रुपए के स्टांप पर आवेदक से ही स्वत: प्रमाणित पत्र लिया जाता है. इन लोगों ने अपना भू स्वामित्व बताया है लेकिन ये सूचना गलत निकली. लेकिन, सवाल ये उठता है कि डूडा की सर्वे एजेंसी ने क्यों जांच नहीं की या गलत रिपोर्ट लगाई. इस पर संतोष कहते हैं कि उस सर्वेयर को हटा दिया गया है.


परेशान हैं लोग
कुल मिलाकर विभागों के आपसी समन्वय ना होने का खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है. उन्हें डर है कि उनका बचा हुआ घर भी तोड़ दिया जाएगा. डूडा से जो 2 लाख रुपए मिले थे लोगों ने उससे घर बनवा लिया है. कैसे पैसा वापस करेंगे इसे लेकर भी लोग परेशान हैं.


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