Agra News: आगरा में HC बेंच की स्थापना को लेकर भड़के कानून मंत्री किरण रिजिजू, कहा- मैंने नहीं दिया ये बयान
इससे पहले किरण रिजिजू के बयान की हर तरफ चर्चा और विवाद शुरू होने पर यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने स्पष्ट किया था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की कोई बेंच नहीं बनेगी.
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Union Law Minister Kiren Rijiju on Agra high Court Bench: उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से मेरठ और आगरा में हाई कोर्ट बेंच की मांग हो रही है. समय-समय पर इसे लेकर प्रदर्शन भी हुए हैं. अब एक बार फिर से ये मामला गरमा गया है. दरअसल, आगरा में हाई कोर्ट की खंडपीठ की स्थापना से संबंधित बयान पर बवाल मचा हुआ है.
इसे लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की एल्डर्स कमेटी ने मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आगरा में बेंच बनाने पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के कथित बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री के बयान राजनीतिक रूप से प्रेरित है. साथ ही वकीलों ने प्रदर्शन भी किया.
मैंने हाईकोर्ट बेंच के विषय पर कभी कोई बयान नहीं दिया: किरण रिजिजू
अब केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने अपने बयान को लेकर ट्वीट किया है और अपने कथित बयान का खंडन किया है. उन्होंने कहा है कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा "मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एल्डर्स कमेटी के बयान की कड़ी निंदा करता हूं. मैंने हाईकोर्ट बेंच के विषय पर कभी कोई बयान नहीं दिया है. जब मुझे आगरा में एक अभ्यावेदन सौंपा गया था, तो मैंने केवल इतना कहा था कि सरकार ज्ञापन पर गौर करेगी."
सिद्धार्थ नाथ सिंह भी बोलें- आगरा में नहीं बनेगी हाईकोर्ट की बेंच
इससे पहले केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री किरण रिजिजू के बयान की हर तरफ चर्चा और विवाद शुरू होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मंगलवार को स्पष्ट किया था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की कोई बेंच नहीं बनेगी. सिद्धार्थ नाथ सिहं ने कहा था कि भविष्य में ऐसी कोई योजना नहीं है और न ही कोई तैयारी है.
कई सालों से उठ रही है मांग
आपको बता दें कि मेरठ और आगरा में 1956 से हाईकोर्ट बेंच की मांग उठ रही है. सबसे पहले नेशनल कान्फ्रेंस लॉयर्स ने खंडपीठ स्थापना की मांग उठाई थी. इसे लेकर कई बार वकील प्रदर्शन कर चुके हैं. वहीं इंदिरा गांधी सरकार में 1981 को जसवंत आयोग का गठन किया गया. आयोग ने 1985 में अपनी संस्तुति आगरा के पक्ष में देते हुए रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी थी. यही नहीं चुनाव के समय कई बार इस मुद्दे को भी उठाया गया है. अब एक बार यूपी में विधानसभा चुनाव होने है और ऐसे में ये मामला और बढ़ सकता है.
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