Agra News: आगरा सेंट्रल जेल (Agra Central Jail) में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. जेल के बंदियों का इलाज करने के लिए डॉक्टर की तैनाती है, लेकिन उनके द्वारा बंदियों के इलाज के लिए पैसे लेने का आरोप लगा है. इसका विरोध करने वाले बंदियों को मनोरोगी बता दिया जाता है. कैदी विक्रम ने इलाज के नाम पर केंद्रीय कारागार के चिकित्सक पर धनउगाही के आरोप लगाए हैं. लिखित शिकायत भी की गई है. सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे विक्रम ने लिखित शिकायत भी दी.
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और अपर जिला और सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने चिकित्सक की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए प्रमुख सचिव चिकित्सा और स्वास्थ्य और DG हेल्थ को पत्र लिखते हुए अन्यत्र तैनाती किए जाने का अनुरोध किया है. कैदी विक्रम ने उनसे और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लिखित शिकायत की है कि कैसे गंभीर रूप से पीड़ित कैदियों का भी उचित उपचार नहीं हो रहा है.
केंद्रीय कारागार का किया जा रहा है निरीक्षण
प्राधिकरण के सचिव ने पत्र में लिखा कि उनके द्वारा नियमित रूप से केंद्रीय कारागार का निरीक्षण किया जा रहा है. निरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में बंदियों द्वारा कारागार चिकित्सक की शिकायत की गई. शिकायतों में चिकित्सक द्वारा उपचार के नाम पर बंदी रोगियों से धनउगाही की बात कही गई है. बंदियों ने उन्हें बताया कि डाक्टर बिना पैसे के उपचार नहीं करते हैं. यदि कोई बंदी इस बात का विरोध करता है तो मानसिक रोगी करार दे देते हैं. एक बंदी विक्रम सिंह द्वारा उन्हें लिखित में भी शिकायत दी गई है. उन्होंने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से डॉक्टर की अन्यत्र तैनाती किए जाने के संबंध जरूरी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
इसको लेकर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ज्ञानेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि एक तरफ डॉ देवेंद्र सिंह 18 साल से सेंट्रल जेल में कार्यरत हैं जो कि नियम विरुद्ध है इसलिए बंदी के आरोपों में गंभीरता है, इनका तत्काल ट्रांसफर अन्यत्र किए जाने की जरूरत है, वहीं दूसरी तरफ कई दफा पुलिस लाइन से गारद ना मिलने की वजह से कैदी जेल के अंदर ही दम तोड देता है, इसलिए मैने पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर ये सुझाव भी रखा है कि 10 जवानों की टीम हमेशा जेल के बाहर रिजर्व मैं चौबीसों घंटे तैनात रहे ताकि इमरजेंसी मैं कैदी को तुरंत इलाज मिल सके और असमय मौत ना हो साथ ही जेल में ऑपरेशन थिएटर बनाए जाएं ताकि जेल के अंदर ही जटिल ऑपरेशन किए जा सकें.
इलाज के अभाव में हुई थी कैदी की मौत
जेल में इलाज के नाम पर कैसे भ्रष्टाचार होता है इसकी भुग्तभोगी पीडित महिला शबाना खंडेलवाल हैं, उनके पति रवि खंडेलवाल आज दुनिया में नहीं हैं. उनके मुताबिक इलाज के अभाव में ही उनके पति की मौत हुई थी.उनको आजीवन कारावास की सजा जिला जेल में काट रहे थे लेकिन कोरोना काल में उचित उपचार ना मिलने की वजह से मई 2021 में उनकी मौत हो गई. शबाना खंडेलवाल आज भी जेल सिस्टम के प्रति आक्रोशित हैं.उनके मुताबिक जिस बंदी ने शिकायत की है, बिलकुल ठीक है.
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