Independence Day 2022: आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) में पूरा देश राष्ट्रभक्ति में डूबा हुआ है. आगरा (Agra) का गांधीवादी सत्याग्रही रहे हों या क्रांतिकारी, आजादी की लड़ाई में सबका योगदान रहा है. आगरा के नूरी दरवाजा (Noori Gate Road) इलाके में भगत सिंह (Bhagat Singh) ने एक हवेली में रहकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. आज ये हवेली वीरान है. उससे ज्यादा जीर्ण शीर्ण है और खंडहर में तब्दील हो चुकी है.


इस हवेली के जर्रे-जर्रे में राष्ट्रभक्ति का ज्वार उमड़ता है. भरतपुर के भागीमल महाराज से पांच रुपए मासिक किराए पर लेकर भगत सिंह यहां काफी लंबे समय तक छात्र भेष में छुपकर रहे थे. चूंकि नूरी दरवाजा इलाके से लगते हुए एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा कॉलेज, सेंट जोन्स कॉलेज हैं. छात्र-छात्राओं का इस इलाके में अच्छा खासा मूवमेंट रहता था. भगत सिंह ने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को संचालित करने के लिए इसी हवेली को चुना था.




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ये है इतिहास
ये कहा जाता है कि सरदार भगत सिंह ने दिल्ली जाकर जो असेंबली में बम फोड़ा था, वो आगरा में यहां ही रहकर बनाया था. ताकि ब्रिटिश हुकूमत नींद से जाग सके. साल 1926 से कुछ सालों तक आगरा हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी का एक बड़ा केंद्र बन गया था. भगत सिंह से लेकर चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु से लेकर और कई अन्य क्रांतिकारियों ने आगरा की जनता में अंग्रेजों के खिलाफ चल रही लड़ाई में जन चेतना फैलाई. 
क्रांतिकारियों ने उस दौर में यहां नाम और वेश बदलकर क्रांति का बिगुल फूंका. 


आज ये हवेली जर्जर है लेकिन क्रांति का पुंज है, पास में ही इसी रोड पर अब भगत सिंह के नाम पर एक मंदिर बना दिया है. इस हवेली में नीचे की मंजिल और आसपास पेठे की दुकानें हैं. यहां के स्थानीय लोग इसे म्यूजियम के तौर पर देखना चाहते हैं. लेकिन प्रशासन उदासीन नजर आता है, हालांकि जब सवाल एमएलसी विजय शिवहरे से पूछा जाता है तो हवेली की साफ सफाई और रेनोवेशन कराने की बात कहते हैं.


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