Agra News: एक फूल के लिए दो माली आमने-सामने आ गए हैं. पहले तो भाई ने ही कोर्ट में बच्चे को गोद देने के खिलाफ आपत्ती दर्ज कराई थी लेकिन जब दस साल बाद बिछुड़े मां-बाप मिल गए तो पिता ने भी बेटे को सुपुर्दगी में लेने के लिए बाल कल्याण समिति फिरोजाबाद में अर्जी लगा दी है. कोर्ट ने बाल गृह से बच्चे की मूल पत्रावली पेश करने का आदेश जारी किया है. सुनवाई की तारीख चार अगस्त निर्धारित की गई है. आगरा में 10 साल पहले दो भाई माता-पिता से बिछड़ गए थे. राजकीय बाल गृह आगरा में दस वर्ष पहले एक बच्चे को निरुद्ध किया गया था.


दीवारों के बीच तलाश रहा 'अपने' 


दस साल की उम्र पूरी करने के बाद बच्चे को फिरोजाबाद बाल गृह में भेज दिया गया. बेंगलुरु से आए व्यक्ति ने सगा भाई होने का दावा किया और बाल गृह में बच्चे के साथ रहा. छोटे भाई को इटली के दंपत्ति को गोद देने की प्रक्रिया चल रही थी. भाई ने विदेशी दंपत्ति को गोद दिए जाने के फैसले पर कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई है. चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के सहयोग से दस साल पहले बिछड़े मां-बाप को ढूंढ लिया गया. फिरोजाबाद बाल गृह में बिछड़े बच्चे से मुलाकात हुई और बाल कल्याण समिति से बच्चे को सुपुर्दगी में लेने का अनुरोध किया. बच्चा दस साल से परिजनों को बाल गृह की दीवारों के बीच खोज रहा है. भाई से जल्दी लेने के लिए आने को कहा है. 


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वकीलों का पैनल कर रहा पैरवी


बच्चे को परिजनों के सुपुर्द कराए जाने के लिए कोर्ट में अधिवक्ताओं का पैनल पैरवी कर रहा है. नरेश पारस के साथ पैनल में एडवोकेट गिरीश कटारा, एडवोकेट सूरज कटारा और एडवोकेट हरिओम शर्मा शामिल हैं. अधिवक्ताओं का कहना है कि कोर्ट ने दोनों बच्चों के साथ मूल पत्रावली मंगाई है. दोनों की फाइल का अवलोकन करने के बाद कोर्ट बाल हित में फैसला देगा. 


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