आगरा. काफी हंगामे के बाद आखिरकार आगरा के पारस अस्पताल को सील कर दिया गया है. मॉक ड्रिल के दौरान 22 मरीजों की मौत की बात सामने आने के बाद अस्पताल के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मॉकड्रिल के दौरान पांच मिनट में ही 22 मरीजों की मौत हो गई. इसको लेकर अस्पताल का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है.


वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल संचालक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. अस्पताल को सील करने से पहले यहां भर्ती मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया है. अस्पताल के गेट पर स्वास्थ्य विभाग का नोटिस भी चस्पा किया गया है. इस पर लिखा है, "ये अस्पताल आज दिनांक 8 जून से बंद है."






क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री?
स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी और सीएमओ डिटेल रिपोर्ट देंगे. रिपोर्ट के बाद पता चलेगा कि मॉक ड्रिल वाले दिन अस्पताल में कितने मरीज थे. उनकी क्या स्थिति थी. अस्पताल के पास कितने ऑक्सीजन सिलेंडर थे. सभी जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. उसी हिसाब से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 


विपक्ष ने बोला हमला
उधर, मामला सामने आने के बाद विपक्ष को हमला बोलने का मौका मिल गया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा है कि आगरा के एक अस्पताल में ऑक्सीजन मॉकड्रिल में 22 लोगों की मौत की ख़बर बेहद दुःखद है. दिवंगतों को श्रद्धांजलि! ये घटना उत्तर प्रदेश की ‘चिकित्सा व्यवस्था’ पर एक बड़ा धब्बा है. शासन-प्रशासन द्वारा इस मामले को दबाना घोर आपराधिक कृत्य है. उप्र की भाजपा सरकार अब अपने ख़िलाफ़ FIR करे. वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन है? 


क्या है मामला?
दरअसल, पारस हॉस्पिटल में ऑक्सीजन मॉकड्रिल के दौरान मरीजों की मौत का मामला सामने आया है. अस्पताल का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. दावा है कि वीडियो में हॉस्पिटल के मालिक कह रहे हैं कि 26 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी की वजह से सिर्फ 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई को रोक दिया गया था. ये देखने की कोशिश की जा रही थी कि क्या गंभीर मरीज जरूरत पड़ने पर बिना ऑक्सीजन के भी जीवित रह सकते हैं. वीडियो में कहा गया, "5 मिनट में ही छंट गए 22 मरीज...74 बचे....इन्हें टाइम मिल जाएगा."


हालांकि आगरा के डीएम ने 22 मरीजों की मौत के आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि 26 और 27 अप्रैल को ऑक्सीजन की कथित कमी के चलते सात मरीजों की निजी अस्पताल में मौत हो गई. निजी अस्पताल में 22 गंभीर मरीज भर्ती थे. हालांकि उनकी मौत का विवरण नहीं है.



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