आगरा, नितिन उपाध्याय। पहले तो लावारिस की मौत पर वारिस की तरह मुखाग्नि दी और अब जुर्म की वारदातों के मुकदमे लिखने वाले थाने में त्रियोदशी संस्‍कार कर इंसानियत की अनूठी मिसाल कायम कर दी। एत्‍माद्दौला थाने में शुक्रवार को एक नई इबारत लिखी गई। लावारिस दुष्‍कर्म पीड़िता को 28 दिसंबर को मुखाग्नि देने के बाद इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह मलिक ने शुक्रवार को उसका त्रियोदशी संस्‍कार किया। विधि पूर्वक शांति पाठ कराकर मृत आत्‍मा की शांति की प्रार्थना की।


चोरी, डकैती आदि गुनाहों के मुकदमे जहां लिखे जाते हैं, जहां अपराधियों को पकड़ कर रखा जाता है, शुक्रवार सुबह वहां का नजारा कुछ अलग था। एत्‍माद्दौला थाना गवाहा बना खाकी की इंसानियत का। 22 दिसंबर को सुबह एत्माद्दौला में लहूलुहान हालात में पड़ी मिली युवती की दो दिन बाद मौत हो गई थी। जब शिनाख्‍त नहीं हो पाई तब इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह ने 72 घंटे बाद उसका अंतिम संस्कार किया था। शुक्रवार को त्रियोदशी संस्कार विधान के साथ थाना परिसर में ही संपन्‍न कराया गया। किसी खाकीधारी द्वारा पेश की गई इस मानवीय मिसाल का थाने में आने वाला हर शख्‍स कायल हो रहा था।



पूरी घटना इस प्रकार थी


यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन रोड पर एक मानसिक रूप से दिव्यांग युवती घूमती रहती थी। 21 दिसंबर की रात हनुमान मंदिर में कीर्तन हो रहा था। युवती वहां नाचती रही। रात आठ बजे बाद वह मंदिर के सामने ही हलवाई की दुकान के बाहर पड़े तख्त पर सो गई। 22 दिसंबर की सुबह सात बजे स्थानीय लोगों को वह कुआं वाली गली में अगरबत्ती फैक्ट्री के सामने बरामदे में लहूलुहान हालत में पड़ी मिली। युवती के सिर में ईंट से प्रहार किए गए थे। फर्श पर काफी खून पड़ा हुआ था और वह बेहोश थी। उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे। पुलिस ने उसे एसएन इमरजेंसी में भर्ती कराया। वहां उसे आइसीयू में रखा गया है। जहां दो दिन बाद उसकी मौत हो गई। लावारिस दुष्कर्म पीड़िता की जब 72 घंटे में शिनाख्त नहीं हो सकी। उसके अपनों के न पहुंचने पर इंस्पेक्टर उदयवीर मलिक ने 28 दिसंबर को उसको मुखाग्नि दी थी। इंस्‍पेक्‍टर सहित अन्‍य पुलिसकर्मी पहले शव को निजी शव वाहन से ताजगंज मोक्षधाम ले गए। फिर वहां विधि विधान से मुखाग्नि दी। इस मौके पर इंस्पेक्टर समेत अन्य पुलिसकर्मियों की आंखें नम हो गईं थीं। युवती से दुष्कर्म में पुलिस ने आरोपित एटा निवासी सुगड़ सिंह उर्फ सोड़ा को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में ही है।



इसको लेकर इंस्पेक्टर उदयवीर मलिक का कहना है कि एक उस महिला को लेकर कोई परिवार सामने नहीं आया, इसलिए एक भाई के तौर पर या एक बाप के तौर पर मैंने ही मृतका को मुखाग्नि दी थी इसलिए त्रयोदशी संस्कार कराना जरूरी था ताकि आत्मा को पूर्ण शांति मिल पाए।


इस प्रकरण पर उच्च अधिकारियों ने भी इंस्पेक्टर उदयवीर मलिक की तारीफ की, एसपी सिटी रोहन प्रमोद बोत्रे ने कहा कि मानवता की मिसाल इन्होंने पेश की है, इसलिए इनको सम्मानित करने के लिए उच्चाधिकारियों को अनुशंषा की जाएगी।