Ram Mandir Inauguration: आगरा में सारस्वत समाज के लोगों ने अयोध्या में भगवान रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हवन पूजन किया. सारस्वत समाज के लोग खुद को रावण वंशज मानते हैं और आज यानी 18 जनवरी को सारस्वत समाज के लोगों ने रावण स्वरूप के साथ भगवान श्री राम के लिए हवन पूजन करते हुए अयोध्या बना रहे भव्य मंदिर के लिए भगवान श्री राम को बधाई दी और कहा कि भगवान राम ने हमारे कुल को मुक्ति दी थी. भगवान राम ने रावण के साथ-साथ हमारे कुल पर लगे हुए श्राप से हमें मुक्त कराया था, इसलिए हमारे रोम-रोम में भगवान राम बसे हुए हैं और अयोध्या में रामलाल प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर हम रावण वंशज बहुत खुश हैं. सारस्वत समाज के लोगों ने कहा कि बहुत लंबे अरसे के बाद भगवान श्री राम को अपना भव्य मंदिर मिलने जा रहा है. हम भी अयोध्या जाकर प्रभु श्री राम के दर्शन करेंगे.


सारस्वत समाज के लोगों ने रावण स्वरूप के साथ भगवान श्री राम की पूजा की. इसके साथ ही रावण स्वरूप ने सामाजिक संदेश दिए. रावण के स्वरूप में संदेश दिए कि लोग नशा छोड़ दें. बच्चों को मोबाइल की लत न लगाए, महिलाओं और बेटियों का सम्मान करें, हेलमेट और सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाए. सामाजिक संदेश के साथ रावण स्वरूप ने कहा कि हम रावण वंशज हैं और संदेश दे रहे हैं कि बुरी आदत को छोड़ दें. सामाजिक बुराइयों को देश में से खत्म होना चाहिए और लोग भगवान के नाम में लगे होने चाहिए. सनातन धर्म सबको यही संदेश देता है.


रावण स्वरूप ने बोला जय श्री राम


खुद को रावण वंशज बताने वाले सारस्वत समाज के लोगों ने श्री राम की पूजा अर्चना की साथ ही 22 जनवरी को उत्सव मनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बन रहा है और रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होने वाले हैं. रावण के स्वरूप में डॉ मदन मोहन शर्मा (सारस्वत) ने बताया कि हम लोग रावण वंशज हैं. सारस्वत समाज रावण वंशज हैं और भगवान श्री राम ने हमारे कुल का उद्धार किया था, इसलिए हम भगवान राम को अपना आराध्य मानते हैं. रावण स्वरूप में हम यही संदेश देना चाहते हैं कि सामाजिक बुराइयों को खत्म हो जाना चाहिए और लोगों को भगवान श्री राम के नाम लग जाना चाहिए. मंदिर के सभी को बधाई देते हैं.


अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बन रहा है और हम जल्द ही भगवान श्री राम के दर्शन करने जाएंगे. हमारे रोम-रोम में राम बसे हुए हैं. पूर्व समय में हमारे समाज को श्राप मिला था, जिसका भगवान श्री राम के हाथों उद्धार होना था. लंकापति रावण और भीषण भगवान नारायण के दरबारी हुआ करते थे और श्राप से मुक्ति भगवान राम के हाथो मिलनी थी. उनको श्राप था, भगवान श्री राम आए और हमारे कुल का उद्धार किया. हमने रावण स्वरूप में श्री राम को याद किया है और सामाजिक संदेश दिए हैं. (लक्ष्मीकांत शर्मा की रिपोर्ट)


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