(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
फिर चहकेगी आगरा की हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री, ताज महल खुलने के साथ गुलजार होगी मोहब्बत की नगरी
कोरोना महामारी के चलते आगरा का पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया था. यही नहीं, पत्थरों पर कारीगरी से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार थे. लेकिन जिस तरह से अब 21 सितंबर से ताजमहल खुलने जा रहा है, यहां को लोगों को उम्मीद है कि जीवन अब पटरी आ जाएगा.
आगरा. आगरा की टूरिज्म इंडस्ट्री पर कोरोना की वजह से लगा ग्रहण हटने लगा है. 21 सितम्बर से ताजमहल और किला खुलने जा रहा है. इससे पहले एक सितम्बर से बाकी स्मारक पर्यटकों के लिए खोल ही दिए गये हैं. ऐसे में पच्चीकारी और हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोगों को भी उम्मीद की किरण दिखना शुरू हो गई है.
हैंडीक्राफ्ट से जुड़े लोगों के चेहरे खिले
21 सितम्बर से ताज के खुलने की सूचना के साथ ही मार्बल हैंडीक्राफ्ट एंपोरियम से जुड़े लोगों के चेहरे पर आशा की किरण फिर से देखी जा सकती हैं. पत्थर नक्काशी का काम जो मार्च महीने से ठप पडा है, वो फिर से शुरू होने लगा है, लेकिन अभी रफ्तार पकड़ना बाकी है. हालांकि एंपोरियम खुलना शुरू हो गए हैं और कारीगरों से मलिकानों ने काम पर आने के लिए बोल दिया है.
एंपोरियम मालिक राहुल अग्रवाल कहते हैं कि हमारा काम तब ठीक से चलेगा जब विदेशी मेहमान आना शुरू हो जाएंगे. ऐसे में सरकार को फ्लाइट भी खोलना चाहिए. हालांकि वो पूरी तरह आशान्वित हैं कि 21 से ताज खुलने के साथ ही उनके कारोबार का पहिया भी घूमना शुरू हो जाएगा. इसके लिए उन्होंने पहले से ही तैयारी करना शुरू कर दिया है.
बेरोजगारों को मिलेगी बड़ी राहत
इसी तरह से अब अपने ड्राइंग रूम में सजाने के लिए या किसी को उपहार में गिफ्ट देने के लिए नन्हे ताजमहल को बनाने के लिए कारीगर भी काफी उत्साहित दिख रहे हैं. आगरा में हस्तशिल्प से जुड़े 35 हजार लोग अभी पूरी तरह बेरोजगार थे, लेकिन अब उन्हें उम्मीद है कि निराशा के दिन निकल गए हैं.
खदान मालिकों से संपर्क करना शुरू
हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोग अपने इस कारोबार को गति देने के लिए अभी से ही मकराना संपर्क करना शुरू कर रहे हैं, जहां से सफेद पत्थर आता है, वहीं ब्लैक स्टोन के लिए दक्षिण भारत के खदान मालिकों से उन्होंने बात करना शुरू कर दिया है, ताकि अगर पर्यटकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है, तो वहां से कच्चा माल मंगाया जा सके.
इसे लेकर आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल काफी आशान्वित नज़र आ रहे हैं. उनका मानना है कि आगरा में छोटे बड़े करीब 500 एंपोरियम हैं, जिससे 35 हजार के करीब लोग पच्चीकारी और हस्तशिल्प से जुड़े हैं, जो मार्च से पूरी बेरोजगार हैं. भले ही अभी पहले जैसी तेज़ी नहीं रहेगी लेकिन कम से कम अर्थ चक्र तो घूमेगा. कुल मिलाकर आगरा की टूरिज्म इंडस्ट्री के बुरे दिन जाने वाले हैं.
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