Agra News: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का ये कैसा हाल! 300 करोड़ की लागत से लगे 25 फीसदी कैमरे खराब
UP News: दावा किया गया है कि आपात स्थिति में किसी नागरिक द्वारा मदद मांगने पर आईसीसीसी कंट्रोल रूम द्वारा मदद उपलब्ध कराई जाएगी. ICCC को चला रही कंपनी पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है.
Uttar Pradesh News: आगरा (Agra) में करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) के तहत स्थापित किए गए आई ट्रिपल सी यानी इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (Integrated Control and Command Center) पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी अभी भी शहर के कई सारे कैमरे खराब पड़े हैं. खराब कैमरों की तादाद करीब 25 फीसदी तक है. ये हाल तब है जब हाल ही में G-20 समिट के नाम पर शहर को चमकाने की कवायद में बड़े स्तर पर कैमरों को ठीक भी किया गया था. एबीपी गंगा की टीम ने इसको लेकर पड़ताल की तो पता चला कि एक तरफ 1550 में से 1185 कैमरे ही काम कर रहे हैं, 365 कैमरे सफेद हाथी बने हुए हैं. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की कार्यदाई संस्था का इस और कोई ध्यान ही नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ एबीपी गंगा ने शहर के 43 जगहों पर लगाए गए पैनिक अलार्म बटन का रियलिटी चेक भी किया. जब सूरसद्न चौराहे पर लगे अलार्म बटन को दबाया गया तो भी किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली, जबकि दावा किया गया है कि आपात स्थिति में किसी भी नागरिक द्वारा मदद मांगने पर आईसीसीसी कंट्रोल रूम द्वारा मदद उपलब्ध कराई जाएगी. ICCC को चला रही कंपनी पर पहले इसको लेकर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया जा चुका है.
प्रोजेक्ट के सीईओ ने क्या कहा
इसको लेकर नवागत नगर आयुक्त और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीईओ अंकित खंडेलवाल से बात की तो उनका कहना है कि मैं इस प्रोजेक्ट की समीक्षा करने जा रहा हूं. शहर की स्मार्ट अप्रोच बनाने में इस प्रोजेक्ट की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो कमियां हैं उन्हें जल्दी दूर किया जायेगा.
चीफ डेटा ऑफिसर ने क्या कहा
वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के चीफ डेटा ऑफिसर सौरभ अग्रवाल का कहना है कि हमारी कोशिश है कि कुल कैमरे के 90 फीसदी से ज्यादा कैमरे फंक्शनल हों. चूंकि मेट्रो और अन्य निर्माण कार्यों की वजह से कुछ कैमरे अभी तक चालू नहीं है, इसलिए हमारी कोशिश है मार्च तक सभी कमियां दूर कर ली जाएं.वहीं आपात स्थिति में पैनिक अलार्म बटन को लेकर प्रॉपर रिस्पॉन्स ना मिलने पर उन्होंने कहा कि इस कॉल को अटेंड करने की जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों की होती है. उनके मुताबिक, 700 से 800 कॉल महीने में उनके पास आ रही हैं, इस सिस्टम को और दुरुस्त किया जायेगा.
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