ताजमहल के 22 रहस्यमयी दरवाजों को लेकर इतिहासकार बोले- वहां मूर्तियां होने से इनकार नहीं किया जा सकता
इतिहासकार प्रोफेसर रवि भट्ट का कहना है कि, इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि वहां मूर्तियां रही हों क्योंकि ऐतिहासिक तथ्यों पर बात की जाए तो यह जगह शाहजहां ने राजा जयसिंह से खरीदी थी.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा (Agra) में ताजमहल (Taj Mahal) के 22 बंद कमरों को खोलने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच में दायर याचिका पर आज सुनवाई होगी. इसपर इतिहासकार प्रोफेसर रवि भट्ट का साफ तौर पर कहना है कि, इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि वहां मूर्तियां रही हों क्योंकि अगर ऐतिहासिक तथ्यों पर बात की जाए तो यह जगह शाहजहां ने राजा जयसिंह से खरीदी थी. यह पूरी हवेली 17 एकड़ की थी.
इतिहासकार ने और क्या कहा
इतिहासकार ने कहा, ये राजा की हवेली थी और यह अनुमान है कि जब हवेली थी तो उनकी हवेली बड़ी रही होगी और उसके अंदर पूजा स्थल भी रहा होगा. वह पूजा स्थल भी बड़ा रहा होगा. उसके अंदर मूर्तियां होना भी स्वाभाविक है. ताजमहल का निर्माण 1632 से 1653 तक हुआ और इस बात की भी संभावना हो सकती है कि वहां काम करने वाले कारीगरों ने उन मूर्तियों को किसी एक जगह पर रखकर बंद कर दिया हो. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
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ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर खत्म हो विवाद-इतिहासकार
इतिहासकार ने आगे कहा, अगर ऐसा है तो इसे देखना चाहिए. एक प्रक्रिया है और इसमें छुपाने वाली चीज नहीं है. उन्होंने कहा कि, सरकार और न्यायालय चाहें तो दूसरे पक्ष को भी साथ लेकर इसे देख लेना चाहिए. इसमें कोई गलत बात नहीं है. ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर इस विवाद को खत्म करना चाहिए.