(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी के घर पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी, पूरे परिवार से की मुलाकात, सामने आई ये तस्वीर
Mukhtar Ansari Death News: माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के दो दिन बाद एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी रविवार की देर रात उसके घर पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की.
Mukhtar Ansari News: माफिया मुख्तार अंसारी की मौत बीते गुरुवार की रात को हुई थी. इसके बाद शनिवार को मुख्तार अंसारी सुपुर्दे-ए-खाक हो गया. मुख्तार अंसारी के मौत के दो दिन बाद रविवार को एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी उसके घर पहुंचे, ओवैसी ने मुख्तार अंसारी के परिजनों से मुलाकात की.
लखनऊ में पार्टी मीटिंग के फौरन बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने गाजीपुर का रुख किया. देर रात वो काफी बड़ी तादाद में अपने समर्थकों के साथ मोहम्मदाबाद में मुख्तार अंसारी के घर पहुंचे, जहां मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी से उन्होंने मुलाकात की.
गाजीपुर पहुंचने पर ओवैसी ने वीडियो शेयर कर लिखा, 'आज मरहूम मुख्तार अंसारी के घर गाजीपुर जाकर उनके खानदान को पुरसा दिया, इस मुश्किल वक्त में हम उनके खानदान, समर्थक और चाहने वालों के साथ खड़े हैं. इंशा अल्लाह इन अंधेरों का जिगर चीरकर नूर आएगा, तुम हो 'फिरौन' तो 'मूसा' भी जरूर आएगा.'
इससे पहले एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्तारी अंसारी की मौत पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा कि इस तरह की दूसरी घटना है, जिसमें एक दोषी कैदी की न्यायिक हिरासत में मौत हुई हैं. उन्होंने परिवार के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें धीमा जहर दिया गया.
आपके बता दें कि मुख़्तार अंसारी की गुरुवार (28 मार्च) को तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे बांदा के मेडिकल कॉलेज लाया गया था, जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक पड़ने से उसकी मौत हो गई. परिवार ने मुख्तार को धीमा जहर देने का आरोप लगाया और इस मौत को स्वभाविक नहीं सुनियोजित हत्या बताया है.
परिवार के आरोपों के बाद इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं और एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा है. इस मामले पर सियासत भी जमकर देखने को मिल रही है. समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर यूपी सरकार पर सवाल उठाए हैं.
Lok Sabha Election 2024: मायावती और अखिलेश यादव को राहत देगा पल्लवी पटेल का फैसला?