लखनऊ: एक तरफ 2022 के मिशन (UP Election 2022) को लेकर जहां प्रदेश की सभी बड़ी सियासी पार्टियां जुटी हुई हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस बार यूपी के चुनाव में प्रवासी पार्टियां भी ताल ठोक रही हैं. जिनकी यूपी में अभी अपनी कोई जमीन नहीं है, और ऐसे ही पार्टियों में एआईएमआईएम भी शामिल है. पार्टी के प्रमुख असदुद्दीनओवैसी तीन दिन के उत्तर प्रदेश दौरे पर थे. आज उनके दौरे का आखिरी दिन था. यहां उन्होंने शोषित वंचित समाज सम्मेलन के जरिए अपनी ताल ठोंकी. तीन जिलों में असदुद्दीन ओवैसी ने सम्मेलन किया, वहां उनकी क्या रणनीति है यह आपको हम बताते हैं. 


तीन जिलों में किया शोषित वंचित समाज सम्मेलन


एआईएमआईम प्रमुख असुद्दीन ओवैसी की तैयारी इस बार उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की है. इसके लिए वो लगातार अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं. उनकी नजर प्रदेश की ऐसी विधानसभा सीटों पर है, जहां अल्पसंख्यक वोटर्स की संख्या अधिक है. 7 सितंबर से 9 सितंबर के बीच असदुद्दीन ओवैसी ने प्रदेश के 3 जिलों में शोषित वंचित समाज सम्मेलन किया. इनमें अयोध्या, सुल्तानपुर और बाराबंकी जिले शामिल हैं, लेकिन इन जिलों में जिन विधानसभा सीटों पर ओवैसी ने ये सम्मेलन किया उसके पीछे एक बड़ी वजह वहां का जातीय समीकरण भी रहा. असदुद्दीन ओवैसी सबसे पहले अयोध्या पहुंचे जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ. विपक्षी दलों ने बीजेपी की बी टीम तक ओवैसी को बता दिया.


रुदौली में वोट की गणित


हम आपको बताते हैं कि, आखिर अयोध्या से ही ओवैसी ने अपने शोषित वंचित समाज सम्मेलन की शुरुआत क्यों की. अयोध्या की अगर कुल जनसंख्या की बात करें तो यहां 28 लाख से ज्यादा आबादी है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी तकरीबन 3,66,000 के आसपास है, और इसमें भी जिस विधानसभा सीट पर ओवैसी ने अपना सम्मेलन किया वो रुदौली विधानसभा सीट है, जहां कुल आबादी 4,64,001 के आसपास है और इसमें मुस्लिम समाज की आबादी लगभग 28 फीसदी है, 1,28,000 के आसपास है. 2007 और 2002 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अब्बास अली जैदी उर्फ रुश्दी मियां ने जीत हासिल की थी. ओवैसी की रणनीति के अनुसार यह सीट उन्हें अपने लिए काफी मुफीद लगती है. 


सुल्तानपुर में 4 लाख मुस्लिम मतदाता 


8 सितंबर को ओवैसी अयोध्या के बाद सुल्तानपुर पहुंचते हैं और वहां वो शोषित वंचित समाज सम्मेलन करते हैं. सुल्तानपुर जिले की अगर बात करें तो कुल मतदाता 19 लाख के आसपास हैं, इन में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 4 लाख के आसपास है. सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट पर ओवैसी ने अपना सम्मेलन किया. इस सीट पर 2017 में बीजेपी ने कब्जा जमाया लेकिन दूसरे नंबर पर बसपा के मुजीब अहमद रहे जिन्हें 54 हज़ार से ज्यादा वोट मिले, यानी ये सीट भी ओवैसी के पैरामीटर में बिल्कुल फिट बैठती है.  


बाराबंकी में 23 फीसदी मुस्लिम आबादी 


आज अपने उत्तर प्रदेश दौरे के तीसरे दिन ओवैसी ने बाराबंकी में शोषित वंचित समाज सम्मेलन को संबोधित किया अगर बाराबंकी की बात करें तो कुल आबादी 32 लाख से ज्यादा है, इसमें 23 फीसदी मुस्लिम आबादी है. बाराबंकी सदर सीट जहां सम्मेलन हुआ वहां दूसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर हैं, लगभग 30 फीसदी, 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां समाजवादी पार्टी के सुरेश यादव ने जीत हासिल की, जिन्हें 99 हज़ार से ज्यादा वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी थी, जिसके उम्मीदवार को 69 हजार से ज्यादा वोट मिले थे और बीजेपी तीसरे नंबर पर चली गई थी. यानी जातीय गुणा गणित के अनुसार ये सीट एआईएमआईएम के लिहाज से फिट बैठती है.  


ये है ओवैसी की रणनीति 


जाहिर है असउद्दीन ओवैसी की नजर ना सिर्फ उन सीटों पर है जहां मुस्लिम वोटर अधिक हैं, बल्कि ओवैसी की नजर उन उम्मीदवारों पर भी है जिन्होंने अब तक उन सीटों पर सपा या बसपा को जीत दिलाई. 2017 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को देश की 7 विधानसभा सीटों पर 7000 से ज्यादा वोट मिले थे. यह 7 सीटें हैं. संभल, कांठ, मेहदावल फिरोजाबाद शहर ठाकुरद्वारा खड्डा और कुंदरकी और  इस बार ओवैसी की रणनीति यह है कि कम से कम यूपी में बिहार की ही तरह दस्तक दी जाए, और पार्टी की जमीन भी तैयार की जाए. 


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