लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव भले ही 2022 में होने हैं लेकिन यूपी में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं. पहले आम आदमी पार्टी ने यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया तो वहीं अब एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी लखनऊ पहुंच गए और यहां नए सियासी समीकरणों को लेकर उन्होंने ओमप्रकाश राजभर के साथ चर्चा की. हाल ही में हुए बिहार चुनाव में 5 सीट जीतने के बाद ओवैसी उत्साह से लबरेज हैं और जीत का फार्मूला जो बिहार में अपनाया वही यूपी में अपनाकर अपना दमखम दिखाने की कोशिश में जुट गए हैं.


लखनऊ पहुंच असदुद्दीन ओवैसी
एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचकर सियासी सूरमाओं को चौंका दिया. सुबह तकरीबन 10 बजे राजधानी के होटल में उन्होंने सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के साथ मुलाकात की. आधे घंटे तक चली इस सियासी मुलाकात में उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले चुनाव में एआईएमआईएम किस तरीके से प्रदेश अपना दमखम दिखाएगी और कैसे दूसरे छोटे दलों के साथ मिलकर एक नई रणनीति तैयार की जा सकती है इस पर चर्चा हुई.


पहले भी किस्मत आजमा चुके हैं ओवैसी
ये पहला मौका नहीं है जब एआईएमआईएम उत्तर प्रदेश में कोई चुनाव लड़ने जा रही हो, इससे पहले 2015 में जब प्रदेश में जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत चुनाव हुए तब भी एआईएमआईएम ने जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे थे. बलरामपुर, मुजफ्फरनगर, आजमगढ़ में पार्टी के उम्मीदवार जीते भी थे. इसके बाद अगर 2017 की बात करें तो उत्तर प्रदेश में हुए नगर निगम के चुनाव में भी एआईएमआईएम ने पूरे दमखम के साथ अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारे तब पार्टी को 78 में से 29 सीटों पर जीत मिली थी.


लोगों का दिल जीतने के लिए उत्तर प्रदेश आ रहे हैं
2017 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने प्रदेश में कुल 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन किसी को भी जीत हासिल नहीं हुई और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश में एक भी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. तब आरोप लगा था कि ओवैसी बीजेपी को फायदा पहुंचा रहे हैं और आज जब ये सवाल उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम वोट काटने के लिए नहीं बल्कि लोगों का दिल जीतने के लिए उत्तर प्रदेश आ रहे हैं.



बिहार में 5 सीटों पर जीत हासिल की
हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आए उसमें एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत हासिल की और पार्टी के लिए ये परिणाम उसकी सोच से ज्यादा बेहतर थे. 2019 में भी किशनगंज की सीट आईएमआईएम ने जीत ली थी. उसी रणनीति को उत्तर प्रदेश में एआईएमआईएम उतारने में जुटी है.


अखिलेश यादव से मुलाकात हो चुकी है
दरअसल, सुभासपा अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर इन दिनों उत्तर प्रदेश में भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाने में जुटे हैं. उनकी कोशिश है कि सुभासपा, अपना दल कृष्णा पटेल गुट, बाबू सिंह कुशवाहा समेत कुल 8 दल अभी इसमें शामिल हैं. ओमप्रकाश राजभर की कोशिश है कि प्रसपा के साथ-साथ सपा भी इसमें शामिल हो. वो अखिलेश यादव से भी इसे लेकर मुलाकात कर चुके हैं.


बसपा के शामिल होने की उम्मीद कम
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से भी राजभर मिल चुके हैं. वहीं, बिहार चुनाव में ओमप्रकाश राजभर ने जो ग्रैंड डेमोक्रेटिक सर्कुलर फ्रंट बनाया था उसमें कुल 6 दल शामिल थे जिनमें एआईएमआईएम और बसपा भी थी. हालांकि, 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बसपा ऐसे किसी गठबंधन में शामिल हो ये बहुत मुश्किल नजर आता है और अब असदुद्दीन ओवैसी के उत्तर प्रदेश के दौरे से ये माना जा रहा है कि 2022 में बीजेपी को रोकने के लिए ये सभी सियासी दल एक साथ एक मंच पर आकर साथ चुनाव लड़ेंगे.



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