UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्यों ने मुलाकात की है. AIMPLB के सदस्यों ने सीएम योगी ले मदरसा छात्रों को दिए आदेश वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि परिषदीय स्कूल में दाखिले का आदेश वापस लें. वहीं AIMPLB ने कहा कि सीएम योगी ने विचार करने का आश्वासन दिया है. 


इस मामले को लेकर यूपी के अल्पसंख्यक मामले के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि ये उर्दू, फारसी और अरबी की पढ़ाई अनिवार्य है. हम छात्रों को बाध्य नहीं कर सकते हैं. बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने यहां एक बयान में बताया कि बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर्रहमान मुजद्दिदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की.


प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के 8449 मदरसों को नोटिस जारी किए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई, जिसके आधार पर जिला प्रशासन हर जिले के मदरसों को आदेश दे रहा है कि उनके यहां पढ़ने वाले बच्चों को बेसिक शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिल कराया जाए.


प्रतिनिधिमंडल ने 26 जून को तत्कालीन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा द्वारा जारी आदेश को संविधान के विपरीत बताते हुए कहा कि संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और उनका संचालन करने का अधिकार दिया है. बोर्ड का कहना है कि इसी तरह शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 से भी मदरसों और पाठशालाओं को छूट दी गई है. बोर्ड ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव को सात जून को जारी किये गये पत्र पर भी कड़ी आपत्ति जताई.


गौरतलब है कि इस पत्र में आदेश दिए गए थे कि राज्य के अनुदान प्राप्त 560 मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों और 8449 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को प्राथमिक पाठशालाओं में प्रवेश दिलाया जाए. बोर्ड ने कहा कि इस आदेश से दारुल उलूम देवबंद और दारुल उलूम नदवतुल उलमा जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मदरसे भी प्रभावित हो रहे हैं. बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि इन मदरसों से शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला मिलता है और इन मदरसों में पढ़ चुके छात्र अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.


प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वह इस आदेश को तुरंत वापस लेने का हुक्म जारी करें ताकि राज्य के मुसलमान में पैदा हुई चिंता को दूर किया जा सके. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को इस सिलसिले में एक ज्ञापन भी सौंपा. बोर्ड के प्रवक्ता के मुताबिक मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि वह इस पर गंभीरता से विचार करेंगे.


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