Gyanvapi Case Verdict: वाराणसी की जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी मामले में मुकदमा चलाए जाने के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने आपत्ति जताई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मोहम्मद सुलेमान का कहना है कि यह कोडिफाइड लॉ का वायलेशन है. सेशन कोर्ट को इस मामले में फैसला देने का अधिकार नहीं है.
उन्होंने कहा- सेशन कोर्ट कोडिफाइड लॉ के सामने ऐसा निर्णय नहीं देना चाहिए. मैं समझता हूं कि उन्होंने अपने अधिकारों से बाहर जाकर मामले का फैसला दिया है. क्यों कहा कैसे कहा यह देखा जाएगा? AIMPLB पूजा स्थल अधिनियम 1991 को मानते हैं.
मोहम्मद सुलेमान ने कहा- "कोडिफाइड एक्ट को इंटरप्रेट करने का सेशन कोर्ट को अधिकार नहीं है. ऐसे में इस तरह से फैसला देना जुडिशरी की सेवा नहीं है. बड़ा ही आश्चर्यजनक कि कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को चलाने लायक पाया है."
न्यायपालिका न्याय की उम्मीद- सुलेमान
AIMPLB के मेंबर ने कहा- "अन्य मंदिरों पर भी पहले से उनका एजेंडा रहा है. वह ऐसा कहेंगे ही और कहते रहे हैं. हम देश की न्यायपालिका से उम्मीद करते हैं कि वह न्याय दे, फैसला ना दें. इस बीच ऐसा हो रहा है कि न्याय नहीं दिया जा रहा केवल फैसले हो रहे हैं फैसले भीड़ तंत्र को खुश करने के लिए दिए जा रहे हैं ऐसा लगता है."
उन्होंने कहा कि हम धार्मिक स्थल पूजा एक्ट की पवित्रता को बरकरार रखते हैं वह आगे काम करेंगे. स्थानीय कमेटी अगर सहयोग चाहेगी तो हम अपना सहयोग करेंगे. फैसला देश के कोडिफाइड लॉ के खिलाफ है बुनियादी अदालत की सीमाओं से परे जाकर के उल्लंघन किया गया है.