दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही गाजियाबाद की हवा, लोगों की आंखों में पानी और सीने में जलन
गाजियाबाद में लोगों की आंखों में पानी और सीने में जलन है. दरअसल, यहां की हवा की गुणवत्ता दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है.
गाजियाबाद। दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोगों की आंखों में पानी है और सीने में जलन है. ऐसा किसी बीमारी के कारण नहीं बल्कि गाजियाबाद में छाई धुंध का असर है. गाजियाबाद का देहात का इलाका हो या शहर का, वक्त चाहे सुबह का हो या फिर शाम का हो. आजकल हमेशा गहरी धुंध की चादर छाई हुई है. एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. अब तो सरकारी अमला भी यह कह रहा है कि स्वस्थ रहना है तो सुबह और शाम घर से मत निकलो.
घर से बाहर निकलते ही पूरे जिले को धुंध में लिपटा पाएंगे. यहां हर जगह प्रदूषण की चादर है. गाजियाबाद में लोगों का जीना मुहाल हो रखा है. गाजियाबाद के किसी भी हिस्से में जाएंगे तो प्रदूषण के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. लोगों का कहना है कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत आती है. साथ ही आंखों में से पानी आता है. इसके अलावा खांसी भी शुरू हो चुकी है.
सरकारी अमला भी मानने लगा है कि गाजियाबाद का एयर क्यालिटी इंडेक्स खराब हो चुका है. गाजियाबाद की जनता से प्रशासन अनुरोध कर रहा है कि सुबह और शाम को बिल्कुल भी बाहर न निकलें बल्कि घर में रहें. साथ ही कोरोना काल भी चल रहा है तो ऐसे में लोगों को दोहरी मार लग सकती है. इसी लिए अधिकारी कह रहे हैं कि जब ज्यादा से ज्यादा समय घर पर हैं और अगर उनको निकलना है तो मास्क लगाकर ही निकलें.
आपको बता दें गाजियाबाद में इस तरह के प्रदूषण के पांच कारण हैं. पहला कारण प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद यहां पराली जलाने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं. दूसरा कारण निर्माणाधीन कार्य हैं, जहां से धूल उड़ती है. तीसरा कारण लोग चुपचाप कूड़े को जला देते हैं. चौथा कारण ट्रैफिक है, जिसके धुंए से प्रदूषण बढ़ता है और पांचवा कारण गाजियाबाद में स्थित फैक्टरी है. जो हवा को जहरीला बनाते हैं. हालांकि गाजियाबाद प्रशासन की तरफ से पूर्ण रूप से प्रदूषण को रोकने में जुटा है. लेकिन देखना होगा कि आम जनता को कब तक से राहत मिल पाती है. अभी तो दीपावली नहीं आई है, ऐसे में अगर दीपावली के पटाखे चलेंगे तो हवा के और जहरीले होने की आशंका है.
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