लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने राज्य में बुनकरों की बदहाली का जिक्र करते हुए शनिवार को कहा कि कारीगर सुविधाओं के अभाव में अपना पुश्तैनी कारोबार छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं. लल्लू ने कहा कि करीब 30 साल पहले कांग्रेस के उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद से हथकरघा क्षेत्र लगातार सरकारों की उपेक्षा का शिकार होता गया, नतीजतन लगभग 80 प्रतिशत हथकरघा उद्योग बन्द हो चुके हैं और लाखों परिवारों का रोजगार छिन गया है.


बुनियादी सुविधाओं का अभाव
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बुनकरों के लिए बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, फलस्वरूप हुनरमंद बुनकर अपना-अपना करघा बेचकर रिक्शा-ठेला खींचने को मजबूर हैं. कुशीनगर की तमकुहीराज सीट से विधायक लल्लू ने बताया कि शनिवार को उन्होंने विधानसभा में नियम 51 के तहत सवाल उठाते हुए सरकार से मांग की है कि बुनकरों के बिजली का बिल किसानों की ही तरह निश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि साथ ही करघा इकाइयों को उन्नत किया जाए ताकि पूर्वांचल में सूत उत्पादों का निर्माण हो सके.


बुनकर आयोग का गठन किया जाए
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बुनकरों के हित के लिए कांग्रेस शासन में गठित राम शाह आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग करते हुए कहा कि बुनकरों के आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की समस्याओं को दूर करने के लिए अन्य आयोगों की भांति बुनकर आयोग का गठन किया जाए.


बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं
लल्लू ने मांग की है कि, ''सूत उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह अनुदान देकर साइजिंग प्लान्ट लगाए जाएं. जौनपुर, मगहर, बाराबंकी, अकबरपुर, अमरोहा, मऊ और गाजीपुर की बन्द पड़ी करघा मिलों को फिर से शुरू किया जाए. साथ ही साथ वाराणसी, गोरखपुर, टाण्डा, मऊ और सन्तकबीर नगर जैसे बड़े बुनकर क्षेत्रों को इण्डस्ट्रियल एरिया घोषित कर वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.'' उन्होंने कहा कि बुनकरों को तकनीकी तथा कौशल प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश में कम से कम दो सरकारी प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएं.


यह भी पढ़ें:



यूपी विधानसभा में हंगामे के बीच कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पारित, कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित


मेरठ: फिल्मी अंदाज में अस्पताल से फरार हुई महिला, हाथ मलता रह गया मेडिकल कॉलेज प्रशासन