फिरोजाबाद: दोनों हाथ नहीं हैं, पैरों से लिखकर पास की बीएससी की परीक्षा, हौसले का दूसरा नाम है अजय
फिरोजाबाद के अजय कुमार शर्मा ने अपने हौसले से सारी कठिनाइयों को एक तरफ रख दिया. दोनों हाथ न होने के बावजूद वे सारा काम खुद करते हैं. पैरों से लिखतें हैं, पैरों से ही खाना खाते हैं.
फिरोजाबाद: हाथों से दिव्यांग युवक ने बीएससी फाइनल की पढ़ाई पूरी की. हाथ ना होने के बावजूद पैरों से लिखता है, पैरों से ही खाना खाता है, पैरों से ही पानी पीता है, यहां तक कि पैरों से ही ज्यादातर सारे काम करता है. अजय कुमार शर्मा सबके लिये प्रेरणा स्रोत बन गये हैं.
मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में ही उड़ान होती है.
अजय ने नहीं हारी हिम्मत
हम बात कर रहे हैं युवक अजय कुमार शर्मा की जिनकी उम्र 25 वर्ष है, जो कि बचपन से ही हाथों से दिव्यांग हैं, जिसने बीएससी फाइनल की पढ़ाई पूरी कर ली है. अजय दोनों हाथों से दिव्यांग है लेकिन अजय ने बचपन से लेकर अभी तक कभी हिम्मत नहीं हारी, उसके अंदर इतना हौसला है इसके हाथ नही है. लेकिन हाथ ना होने की वजह से अपने आप को उसने कभी कमजोर नहीं समझा. आठ साल पहले उसके पिता की मौत हो गयी थी, जबसे अब यह अपनी मां सुखदेवी और अपना खर्च चला रहा है. अजय बचपन से लेकर अभी तक अपने पैरों से नोटबुक पर पेंसिल से लिखता है. दूसरी बात जब यह खाना खाता है तब अपने पैरों से ही रोटी को तोड़कर खाता है और उसे मुंह तक पहुंचाता है. यहां तक कि पानी का गिलास भी अपने पैरों से उठाता है. अजय कुमार शर्मा अपनी मां सुख देवी के साथ किराए के मकान में रहता है और जहां से उसने शिक्षा ली, वहीं आज 3 हजार रुपये महीने की नौकरी कर रहा है.
सारे काम स्वयं करता है
अजय कुमार शर्मा जिस विद्यालय में नौकरी करता है, वहां गेटमैन के पद पर तैनात है लेकिन उसके हाथ नहीं हैं, फिर भी वह फोन पर बात करने के साथ-साथ विद्यालय के गेट का ताला भी लगा लेता है, लेकिन चौंकाने वाली बात तो जब देखी गई जब अजय कुमार शर्मा हाईवे पर साइकिल चलाता हुआ नजर आया. लेकिन इतना टैलेंट होने के बाद भी अजय कुमार शर्मा और उसकी मां सुख देवी को यह अफसोस रहता है कि प्राइवेट नौकरी में उसके परिवार का खर्चा नहीं चल रहा है, इसलिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यही गुहार करते हैं, कि अजय कुमार शर्मा को सरकारी नौकरी मिल जाए. अजय कुमार शर्मा किसी भी तरह की नौकरी करने को तैयार हैं. चाहे वह पढ़ाई लिखाई की हो या गेटमैन की, वह चाहता है कि सरकार उसे मदद के तौर पर एक सरकारी नौकरी और रहने के लिए एक आवास दे दे, जिससे उसकी मां और उसकी जिंदगी का गुजारा हो सके, क्योंकि आठ साल पहले अजय के सिर उसके पिता का भी साया उठ चुका है. अजय कुमार शर्मा ने बताया कि वह बचपन से ही दिव्यांग हैं.
चाहता है सरकारी नौकरी
जब बच्चे पढ़ने जाते थे, तब उसे भी लगता था कि वह पढ़ाई करने जाएं, तो वह पढ़ने गया वहां उसने पैरों से लिखना सीखा, पैरों से लिखने के बाद उसने हाई स्कूल किया. इंटर की पढ़ाई पूरी की और अपनी मेहनत के बल पर वह आज बीएससी फाइनल कर चुका है और अपने मां सुखदेवी के साथ किराए के मकान में रहता है. अजय कुमार शर्मा अपनी मां और अपना पेट भरने के लिए एक विद्यालय में नौकरी कर रहा है, वह चाहता है कि सरकार उसको एक सरकारी नौकरी और एक रहने के लिए आवास दे दे जिससे उसकी जिंदगी का गुजारा हो सके.
डॉ जय देव सिंह संत जनेऊ बाबा विद्यालय प्रधानाचार्य का कहना अजय को मिलनी चाहिये सरकारी नौकरी
अजय हमारे यहां चार साल से नौकरी कर रहा है. यहीं से इसने शिक्षा ग्रहण की थी,और ग्रेजुएशन भी यहीं से की है. अजय के हाथ नहीं है लेकिन यह कभी हिम्मत नहीं हारता सारे काम कर लेता है गेट पर इसकी नौकरी है. बस हम यह चाहते हैं कि इसकी एक सरकारी नौकरी लग जाए तो इसका भला हो जाएगा.
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