यूपी में शिक्षा विभाग का कारनामा, अकबर इलाहाबादी का नाम कर दिया अकबर प्रयागराजी, मचा सियासी कोहराम
Akbar Allahabadi Name: अकबर इलाहाबादी अकबर प्रयागराजी कर दिए गए. इसी तरह राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराजी और तेग इलाहाबादी को तेग प्रयागराजी में बदल दिया गया. लोगों को जानकारी हुई तो कोहराम मच गया.
Prayagraj News: यूपी में विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं, लेकिन विकास का मुद्दा मीलों पीछे छूटता हुआ नजर आ रहा है. काम पर कोई चर्चा नहीं हो रही है. यह अलग बात है कि मशहूर हस्तियों के नाम को लेकर खूब सियासत हो रही है. पहले जिन्ना के जिन्न ने जमकर कोहराम मचाया तो अब यूपी सरकार के शिक्षा विभाग की सरकारी वेबसाइट पर नामचीन शायर अकबर इलाहाबादी समेत दूसरे साहित्यकारों के नाम के साथ छेड़छाड़ पर खूब सियासत हो रही है. सरकारी वेबसाइट पर अकबर इलाहाबादी समेत कई बड़े कलमकारों का टाइटल इलाहाबादी से बदलकर प्रयागराजी किये जाने के मामले में सरकार बैकफुट पर आ गई है तो विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने की फ़िराक में जुट गया है.
बहहराल हर तरफ मचे कोहराम के बाद महकमे ने नाम के साथ छेड़छाड़ को अब दुरुस्त कर दिया है. मामला वोटों की सियासत से जुड़ा हुआ है, लिहाज़ा अपना फैसला वापस लेने के बावजूद महकमे के लोग मीडिया के कैमरों के सामने हाथ जोड़कर बचते हुए कुछ भी बोलने से साफ़ इंकार कर रहे हैं. वैसे साहित्य से जुड़े लोगों ने भी कलमकारों को सियासी शतरंज की बिसात पर मोहरा बनाए जाने पर अपनी नाराज़गी जताई है और ज़िम्मेदार लोगों को इस पर माफी की नसीहत दी है.
पूरा मामला कुछ इस तरह तरह है. यूपी के डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती करने का ज़िम्मा उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के ज़िम्मे होता है. महकमे की अपनी अलग सरकारी वेबसाइट भी है. प्रयागराज में कुंभ मेले से ठीक पहले अक्टूबर-2018 में योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था. उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने पिछले दिनों अपनी ऑफिसियल वेबसाइट पर अल्लामा अकबर समेत कई नामचीन शायरों के नाम में इलाहाबादी हटाकर प्रयागराजी कर दिया.
ये है पूरा मामला
दरअसल, आयोग की वेबसाइट पर एक कॉलम एबाउट अस के बारे में है. इसी में एक अलग सेक्शन एबाउट इलाहाबाद का था. इसमें इलाहाबाद के बारे में जानकारी देते हुए यहां से जुड़े रहे तमाम नामचीन साहित्यकारों का नाम लिखा हुआ था. हालांकि इनमे कई ऐसे कलमकार थे जो अपने नाम के साथ इलाहाबादी टाइटल लिखते थे. इनमे अकबर इलाहाबादी, तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी भी शामिल हैं. वेबसाइट पर पहले इनका यही नाम लिखा जाता था, लेकिन पिछले दिनों चुपचाप इन कलमकारों के नाम के आगे इलाहाबादी हटाकर प्रयागराजी कर दिया गया. अकबर इलाहाबादी अकबर प्रयागराजी कर दिए गए थे. इसी तरह राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराजी और तेग़ इलाहाबादी को तेग़ प्रयागराजी में बदल दिया गया. लोगों को इसकी जानकारी हुई तो कोहराम मच गया. अदब की दुनिया से जुड़े कलमकारों ने इस पर एतराज जताते हुए सवाल उठाए तो वहीं दूसरी तरफ सियासत भी शुरू हो गई.
आयोग बैकफुट पर आ गया
मामला तूल पकड़ने लगा तो आयोग बैकफुट पर आ गया. उसने आज दोपहर आनन- फानन में ये सभी गलतियां ठीक करा दीं. एबाउट इलाहाबाद को एबाउट प्रयागराज कर दिया तो साहित्य से जुड़े लोगों के नाम के आगे लगाया गया प्रयागराजी शब्द हटाकर वापस इलाहाबादी कर दिया गया. आयोग ने गलती पर पर्दा तो डाल दिया, लेकिन उसके ज़िम्मेदार लोग मीडिया के सामने आने से बचते रहे. अफसरों ने अपने बचाव में तमाम दलीलें भी फोन पर दीं. किसी से गलती मान ली तो किसी से पूरा ठीकरा वेबसाइट देखने वाली एजेंसी के सिर मढ़ दिया. कुछेक अफसरों ने तो फोन पर बातचीत में पूरे विवाद को लेकर कोई भी जानकारी होने से ही अपना पल्ला झाड़ लिया. बहरहाल मामला अब ठंडे बस्ते में जा सकता है, लेकिन इस विवाद पर साहित्य से जुड़े लोगों से लेकर विपक्षी पार्टियों तक के निशाने पर आयोग कम और सरकार ज़्यादा रही है.
साहित्यकारों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए माफी की मांग कर डाली
साहित्यकारों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए माफी की मांग कर डाली तो विपक्षी पार्टियों ने सत्ता पक्ष पर जमकर निशाना साधा. अकबर इलाहाबादी से हमदर्दी कम और सरकार पर शब्दों के बाण ज़्यादा चलाए गए. विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए इस विवाद में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की भी इंट्री करा डाली. कांग्रेस पार्टी के नेता बाबा अभय अवस्थी ने कहा कि सरकार ने जिस तरह देश की आज़ादी पर सवाल उठाने वाली फिल्म ऐक्ट्रेस कंगना रनौत का बचाव करते हुए उसे बढ़ावा दिया, उसके बाद अवॉर्ड की लालच में तमाम लोग इस राह पर चल पड़े हैं. साहित्यकार श्लेष गौतम ने कहा है कि वजह जो भी हो और ज़िम्मेदार कोई भी हो, लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए था.
अकबर इलाहाबादी के रिश्तेदार भी दुखी नज़र आ रहे हैं
इस पूरे विवाद पर अकबर इलाहाबादी के रिश्तेदार भी दुखी नज़र आ रहे हैं. परिवार के लोगों का कहना है कि अल्लामा अकबर कोई मामूली शख्सियत नहीं थे. यह शहर देश ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में संगम और दूसरी चीजों के साथ ही अकबर इलाहाबादी के नाम से भी जाना जाता है. दुनिया के कई मुल्कों में अकबर इलाहाबादी की रचनाओं को पढ़ाया जाता है. अकबर इलाहाबादी के परिवार से जुड़े ताज इलाहाबादी का कहना है कि इतनी बड़ी शख्सियत के नाम के साथ छेड़खानी कर उस पर विवाद पैदा करना और पूरे मामले में सियासी रोटियां सेंका जाना कतई ठीक नहीं है. कहा जा सकता है कि अकबर इलाहाबादी के नाम के साथ छेड़छाड़ का यह चैप्टर भले ही क्लोज हो गया हो, लेकिन आने वाले दिनों में सियासी मंचों पर इसकी चर्चा और गूंज सुनने को मिल सकती है.
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