UP Lok Sabha Election News:  इस बार का लोकसभा चुनाव किसी रणभूमि और जंग के मैदान से कम नहीं है क्योंकि यहां हर कोई जीत का सपना देख रहा है लेकिन किसकी होगी जीत और कौन होगा परास्त ये लोकसभा की जनता और उसके मतदान पर निर्भर है लेकिन 2009 से वजूद में आई अकबरपुर लोकसभा सीट एक ही बार कांग्रेस के खाते में आई और पिछले दो बार से बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा कर रखा है क्या तीसरी बार बीजेपी जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाएगी या फिर गठबंधन हैट्रिक पर पूर्णविराम लगा देगा. वहीं बीजेपी में भी अंदर खाने से कलह इस लोकसभा में टिकट को लेकर पहले ही चल रही थी. जिसका खामियाजा बीजेपी प्रत्याशी के लिए दिक्कत पैदा कर सकती है.


वैसे तो हर राजनैतिक दल की नजर उत्तर प्रदेश पर टिकी रहती है. फिर चाहे विधान सभा चुनाव हो या फिर लोकसभा क्योंकि देश की सियासत में यूपी अपनी खास जगह रखता है. हम बार कर रहे है. यूपी की अकबरपुर लोकसभा की जहां 2024 का सियासी संग्राम छिड़ चुका है इस सीट को परिसीमन से पहले बिल्हौर लोकसभा के नाम से जाना जाता था. लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद ये अकबरपुर लोकसभा के नाम से बदल दी गई और नए नाम के साथ इस सीट पर पहली बार कांग्रेस ने अपनी जीत प्रचंड बहुमत से दर्ज की थी लेकिन इस सीट पर बीजेपी ने 2014 में सेंधमारी की ओर अब तक अपना कब्जा बनाया हुए है.


बीजेपी नें मौजूदा सांसद पर जताया भरोसा
लगातार इस सीट पर दो बार की बीजेपी की जीत और अब 2024 के चुनाव में बीजेपी इस सीट पर हैट्रिक मारने की फिर से तैयारी में है. क्योंकि बीजेपी ने 2014 से लेकर अंत अपना प्रत्याशी नहीं बदला और तीसरी बार भी अपने उसी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह पर विश्वास जताया है और उम्मीद में है की वो इस सीट पर फिर से जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाएगा. लेकिन यूपी में हुए सपा कांग्रेस के गठबंधन ने बीजेपी के इस सपने को कहीं हद तक अपनी गठबंधन की ताकत से कमजोर करने की कोशिश और रणनीति शुरू कर दी है. जिससे बीजेपी का हैट्रिक का सपना पूरा होते हुए कुछ काम दिख रहा है.


बीजेपी की हैट्रिक तोड़ने की रणनीति
यूपी में गठबंधन में इस बार सपा और कांग्रेस एक है और लोकसभा चुनाव में बीजेपी का खेल खराब करने की पूरी तैयारी है. दरअसल सपा और कांग्रेस अपने फिक्स वोट और ओबीसी प्रत्याशी राजाराम पाल के मैदान में उतरने से ओबीसी, एससी, यादव, मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति पर काम कर चुकी है. बड़ी संख्या में मुस्लिम ,ओबीसी मतदाता का रुझान इस बार गठबंधन के साथ दिखाया दे रहा है. उस पर गठबंधन प्रत्याशी 2009 में इस सीट से अपनी जीत भी दर्ज करा चुका है जिसको लेकर गठबंधन के लिए बीजेपी का किला भेदना आसान है.


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