प्रयागराज: अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए बरसों तक आंदोलन की अगुवाई करने वाले विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व मुखिया अशोक सिंघल को भारत रत्न दिए जाने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की तरफ से समर्थन किए जाने के बाद अब साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी न सिर्फ इस मांग को पूरी तरह जायज करार दिया है, बल्कि अशोक सिंघल को देश का दूसरा राष्ट्रपिता घोषित किए जाने की भी वकालत की है.


अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि उनकी संस्था पीएम नरेंद्र मोदी और देश के गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अशोक सिंघल को भारत रत्न दिए जाने के साथ ही महात्मा गांधी को मिलने वाली राष्ट्रपिता की पदवी के बराबर का कोई सम्मान भी दिए जाने की मांग करेगी. उनके मुताबिक अशोक सिंघल को ऐसा सम्मान मिलना चाहिए, जिससे उनका दर्जा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बराबर का हो सके. महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि अशोक सिंघल ऐसे गृहस्थ संत थे, जिन्होंने सनातन धर्मियों में राम मंदिर के साथ ही उन्हें एकजुट करने की भी चेतना पैदा की थी, इसलिए उन्हें संत समाज और अखाड़ा परिषद भी जल्द ही कोई उपाधि से नवाजेगा. ये उपाधि सरकार की तरफ से दिए गए सम्मान से अलग संतों की तरफ से होगी.



अखाड़ा परिषद के साथ ही कई दूसरे साधु-संतों ने भी अशोक सिंघल को भारत रत्न दिए जाने की मांग को लेकर आवाज उठाई है. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानंद जी महाराज ने कहा है कि अशोक सिंघल की अगुवाई की वजह से ही मंदिर आंदोलन न सिर्फ साकार हुआ है, बल्कि हिन्दू समाज अपने आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट भी हो रहा है. उनके मुताबिक अशोक सिंघल ने एक अरब से ज्यादा देशवासियों में उनकी सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने का बेहद अहम काम किया है, इसलिए उन्हें भारत रत्न मिलना ही चाहिए. उन्होंने भी पीएम मोदी और गृह मंत्रालय को सिफारिश की चिट्ठी भेजे जाने की बात कही है.


इससे पहले सोमवार को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी अशोक सिंघल को भारत रत्न दिए जाने की मांग का समर्थन कर चुके हैं. कल अपने गृह नगर प्रयागराज में मीडिया से की गई बातचीत में केशव मौर्य ने अशोक सिंघल को सफेद वस्त्रधारी महान संत और राम मंदिर आंदोलन का महानायक करार दिया था. उन्होंने कहा था कि अशोक सिंघल ने राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने के साथ ही देश और समाज के लिए कई दूसरे बड़े काम भी किए थे, इस वजह से वह ऐसे सम्मान के वास्तविक हकदार हैं. सरकार इस मामले में विचार कर कोई फैसला जरूर लेगी.



गौरतलब है कि अशोक सिंघल ने करीब तीन दशकों तक राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई की थी. उन्होंने सभी सम्प्रदायों के संतों को एकजुट कर उन्हें इस आंदोलन से जोड़ा था. इसके साथ ही वो समाज सुधारक की भी भूमिका में थे. यही वजह है कि अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद से ही उन्हें भारत रत्न या कोई दूसरा सम्मान दिए जाने की मांग अब जोर-शोर से उठने लगी है. वैसे अखाड़ा परिषद की तरफ से उन्हें राष्ट्रपिता के बराबर की कोई पदवी दिए जाने की मांग पर आने वाले दिनों में सियासी कोहराम भी मच सकता है, क्योंकि कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियां न सिर्फ इस पर सवाल उठाएंगी, बल्कि एतराज भी जता सकती हैं.


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