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अखण्ड ज्योति देगी मनचाहे फल जानिए क्या है सही विधि

एबीपी गंगा का एस्ट्रो शो समय चक्र में पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने अखण्ड ज्योति के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि अखण्ड ज्योति का भक्ति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

एबीपी गंगा का एस्ट्रो शो समय चक्र में पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने अखण्ड ज्योति के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि अखण्ड ज्योति का भक्ति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जैसा कि हमने हाल-ही में दीपक के विषय में चर्चा की थी। पहले थोड़ा दीपक के बारे में जान लेते हैं। दीपक में उपस्थित अग्निदेव के माध्यम से भक्त अपनी संवेदनाएं भेजता है। दीपक भक्त के मैसेंजर हैं जो भक्ति भावनाओं को ईश्वर या इष्ट तक पहुंचाते हैं। किसी भी पूजा आरंभ में सबसे पहले दीप में अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है। पूजा के अंत में देव या देवी की दीपक से ही आरती का प्रावधान है।

जितनी देर उपासना चल रही होती है, उतनी देर दीपक अखण्डित जलते हुए रहे। जिससे उनकी ऊर्जा से धीरे-धीरे आस-पास का औरा साफ हो जाता है। दीपक का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही बहुत महत्व है।

दीपक जलने के बाद धीरे-धीरे अपनी लौ की गर्मी से आस-पास के क्षेत्र कवर करता है। जितनी देर अखण्डित दीप जलता है, उतना ही एरिया बढ़ता जाता है, बात यहां अखण्डित की है यानी दीपक बुझना नहीं चाहिए। उसके पीछे की अवधारणा यह है कि निरंतर बिना ब्रेक के दीपक जलने से ऊर्जा पूरे घर या क्षेत्र को कवर कर लेती है। और जितने एरिये में अग्नि देव कवर कर लेते हैं, वहां की नकारात्मकता या ऊपरी बाधा रूपी बैड वाईब्रेशन्स समाप्त हो जाती है। इसी लिए पूरी नवरात्रि अखण्ड ज्योति जलाने की परंपरा है। आग्नि देव से सूक्ष्म क्लीनर कोई नहीं है, यानी अग्नि के संपर्क में आने के बाद अशुद्धि या नकारात्मकता भस्म हो जाती है। शुद्ध स्वर्ण तुल्य ही बचता है।

ऐसी मान्यता है कि अगर संकल्प लेकर कलश स्थापना करते हुए, अखंड ज्योति जलाई गई है तो व्रत की समाप्ति तक इसे बुझना नहीं चाहिए। यह पूजा में विघ्न का प्रतीक है और आने वाले समय में संकटों का संकेत देता है। या यूं कहें कि नकारात्मक ऊर्जा ने सकारात्मक ऊर्जा को खण्डित कर दिया। तो थोड़ी सावधानी रखनी होती है कि खण्डित ज्योति कहीं बुझ न जाएं।

अखण्ड ज्योति जलाने से बहुत लाभ होते हैं जिन घरों में नकारात्मक या रोग निरंतर अपने पांव पसारे रहते हैं उन घरों में अखण्ड ज्योति अवश्य जलानी चाहिए। देवी माता को प्रसन्न करने के लिए अखण्ड दीपक जलाना शास्त्र सम्मत है। वैसे अधिकतर भक्त लोग अपने घरों में अखण्ड ज्योति की स्थापित करते हैं। अखण्ड ज्योति जलाने के लिए दीपक बड़ा लेना चाहिए। यह मिट्टी का दीपक भी हो सकता है या फिर पीतल के दीपक को शुद्ध माना जाता है।

क्या हैं अखंड ज्योति बनाने की सावधानियां अखंड ज्‍योति का दीपक कभी खाली जमीन पर नहीं रखना चाहिए। दीपक हमारी प्रार्थना, परमपिता परमेश्वर और माता जगदंबा तक पहुंचाते हैं। इसलिए पूरे सम्मान के साथ उनको आसन प्रदान करना चाहिए। इसीलिए दीपक को पीतल के आसन या फिर चौकी में रखना चाहिए। अखंड ज्‍योति की बाती करीब सवा हाथ लंबी बनाएं क्योंकि इसे लम्बा चलना है। अब दीपक में घी डालें। अगर घी उपलबध न हो तो सरसों या तिल के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं। घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे देवी मां के दाईं ओर रखना चाहिए। अगर दीपक तेल का है तो उसे देवी मां के बाईं ओर रखें।

दीपक प्रज्ज्वलित करने से पूर्व गणपति, मां दुर्गा और भगवान शिव का करते हुए उन्हें मानसिक प्रणाम करना चाहिए। अगर किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए यह अखंड ज्‍योति जला रहे हैं तो पहले हाथ जोड़कर उस कामना को मन में दोहराएं।

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