UP Politics: गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी अपनी जीत में दलित मतों का बड़ा योगदान मानते हैं और वो 2027 के विधानसभा चुनावों में सपा और बसपा के गठबंधन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं. यही वजह है कि अफजाल अंसारी बार-बार इस बात का दावा कर रहे हैं कि न तो बसपा ने उनको निकाला है न ही वो बसपा को छोड़ना चाहते हैं. हालांकि ऐसा कहते समय वो मायावती पर भी लगातार निशाना साध रहे हैं और उनका कहना है कि बहुजन समाज की बात टाप लीडरशिप को माननी पड़ेगी नहीं तो इसका खामियाजा आगे भी उनको भुगतना पड़ेगा.


अफजाल अंसारी 2019 में बसपा और सपा गठबंधन में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी जबकि 2024 में उन्होंने सपा से जीत हासिल की है. 2024 में इंडिया गठबंधन की सरकार नहीं बन पाई लेकिन 2027 में यूपी में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो अफजाल अंसारी का मानना है कि सरकार बन सकती है और इसी वजह से वो बसपा से अपने को जोड़कर चल रहे हैं. लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी की जीत में दलित मतों का बड़ा योगदान रहा है. 


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मायावती पर क्या कहा
उनका दावा है कि कुछ दलित बस्तियों में उनको 75 फीसदी तक मत मिले हैं और औसतन दलित बस्तियों के 50 फीसदी तक मत उनको मिले हैं. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि लोकसभा चुनाव से पहले उनको ये बात बतायी गयी थी कि अगर दलित उनको वोट करता है तो परिणाम उनके पक्ष में होगा और उन्होंने दलित वोट पर पूरा फोकस किया और परिणाम सकारात्मक रहा. अफजाल अंसारी के बसपा प्रेम और मायावती के विरोध को इसी बात से समझा जा सकता है कि अफजाल अंसारी 2027 के विधानसभा चुनाव में भी उन दलित मतों को खिसकना नहीं देना चाहते हैं जो उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले हैं. सपा-बसपा का गठबंधन हो जाता है तो अफजाल अंसारी 2027 में एक बड़ी ताकत बनकर उभर सकते हैं.


मायावती पर अफजाल अंसारी तंज क्यों कर रहे हैं, इस बात को भी समझना यहां जरूरी है. 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन नहीं हो पाता है तब भी दलित मतों की बड़ी भूमिका इस चुनाव में होने वाली है. अफजाल अंसारी इशारों में मायावती पर निशाना साध रहे हैं और कह रहे हैं कि बसपा के टाप लीडरशीप को सोचना होगा नहीं तो दलित समाज खुद सोच लेगा. ऐसा कर वो दलित वोट की सिम्पैथी बटोर रहे हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में उनको वोट में कन्वर्ट करने की उनकी पूरी कोशिश है. अफजाल अंसारी बसपा में रहे हैं और गाजीपुर में दलित वोट में उनकी गहरी पैठ है ये लोकसभा चुनाव में साबित भी हो चुका है. अब उनका प्रयास है कि पूरे प्रदेश में इसी समीकरण पर काम हो और सपा-बसपा का गठबंधन न हो तब भी अपने को वो दलितों का सबसे बड़ा हितैशी साबित कर सकें.


अफजाल अंसारी मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं. मुख्तार अंसारी की मौत जरुर हो चुकी है लेकिन अभी अफजाल अंसारी पर जहां एक तरफ हाइकोर्ट के फैसले की तलवार लटक रही है. वहीं वो अच्छी तरह से इस बात को समझ रहे हैं कि योगी सरकार की नजर एक बार फिर अंसारी परिवार के ऊपर टेढ़ी हो सकती है. दरअसल, अफजाल अंसारी को पूरा भरोसा था कि 2024 में देश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी पर ऐसा नहीं हो सका और अब उनकी नजर यूपी विधानसभा चुनाव पर है. उनके बयानों से साफ है कि उनका प्रयास होगा कि सपा और बसपा का गठबंधन हो और सरकार बने लेकिन किसी वजह से गठबंधन न हो सके तब भी बसपा के वोटबैंक को वो अपने पाले में कर सकें.


(गाजीपुर से आशुतोष त्रिपाठी की रिपोर्ट)