Pegasus Spy Case: सरकार पर हमलावर विपक्ष, कहा- गले नहीं उतर रही केंद्र की सफाई, निष्पक्ष जांच हो
अखिलेश यादव और मायावती ने कथित जासूसी कांड को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. इसी मुद्दे को लेकर आज संसद के मानसून सत्र में भी हंगामा देखने को मिला.
Pegasus Spy Case: इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिये कई प्रमुख लोगों की कथित तौर पर जासूसी करवाने के मामले को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है. विपक्षी दल लगातार इसको लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को संसद के मानसून सत्र में भी हंगामा हुआ.
वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती भी जासूसी कांड को लेकर सरकार पर हमला बोलने से नहीं चूके. अखिलेश यादव ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन कहा है. तो वहीं, मायावती ने निष्पक्ष और स्वतंत्र कार्रवाई की मांग की है.
अखिलेश ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा, "फोन की जासूसी करवाकर लोगों की व्यक्तिगत बातों को सुनना ‘निजता के अधिकार’ का घोर उल्लंघन है. अगर ये काम बीजेपी करवा रही है तो ये दंडनीय है और अगर बीजेपी सरकार ये कहती है कि उसे इसकी जानकारी नहीं है तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसकी नाकामी है. फ़ोन-जासूसी एक लोकतांत्रिक अपराध है."
फ़ोन की जासूसी करवाकर लोगों की व्यक्तिगत बातों को सुनना ‘निजता के अधिकार’ का घोर उल्लंघन है। अगर ये काम भाजपा करवा रही है तो ये दंडनीय है और अगर भाजपा सरकार ये कहती है कि उसे इसकी जानकारी नहीं है तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसकी नाकामी है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 20, 2021
फ़ोन-जासूसी एक लोकतांत्रिक अपराध है।
"जासूसी का गंदा खेल नया नहीं"
वहीं मायावती ने कहा, "जासूसी का गंदा खेल व ब्लैकमेल आदि कोई नई बात नहीं, किन्तु काफी महंगे उपकरणों से निजता भंग करके मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, अफसरों व पत्रकारों आदि की जासूसी करना अति-गंभीर व खतरनाक मामला जिसका भण्डाफोड़ हो जाने से यहाँ देश में भी खलबली व सनसनी फैली हुई है."
2. इसके सम्बंध में केन्द्र की बार-बार अनेकों प्रकार की सफाई, खण्डन व तर्क लोगों के गले के नीचे नहीं उतर पा रहे हैं। सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच यथाशीघ्र कराई जाए ताकि आगे जिम्मेदारी तय की जा सके।
— Mayawati (@Mayawati) July 20, 2021
मायावती ने आगे कहा कि इसके संबंध में केंद्र की बार-बार अनेकों प्रकार की सफाई, खण्डन व तर्क लोगों के गले के नीचे नहीं उतर पा रहे हैं. सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निापक्ष जांच यथाशीघ्र कराई जाए ताकि आगे जिम्मेदारी तय की जा सके.
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