एक्सप्लोरर
Advertisement
कैबिनेट विस्तार: अखिलेश ने कहा कि हर मोर्चे पर विफल सरकार जनता का ध्यान बंटाना चाहती है
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार के विस्तार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान कानून व्यवस्था की ओर नहीं है। ये कैबिनेट विस्तार लोगों का ध्यान भटकाने के लिये है।
लखनऊ, 21 अगस्त (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया वह हर मोर्चे पर असफल होती अपनी नाकामी से ध्यान हटाने के लिए एक तरफ अधिकारियों का स्थानांतरण करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट का विस्तार करके जनता का ध्यान बंटाना चाहती है।
यादव ने दावा किया कि भाजपा की ‘‘गुमराह करने वाली राजनीति’’ से जनता त्रस्त है।
यादव ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘‘भाजपा की राज्य सरकार बने तो ढाई वर्ष हो गए। अब जाकर मुख्यमंत्री और भाजपा नेतृत्व को पता चला कि उनके साथ अकर्मण्य, ‘नान परफार्मर’ (प्रदर्शन नहीं करने वाले) मंत्री भी हैं जिनसे इस्तीफा लिया गया। इस बीच कितनी ही समस्याएं बढ़ गईं। बेकारी, मंहगाई की मार से नौजवान, किसान, गरीब सभी परेशान हैं। महिलाओं और बच्चियों के साथ रोज ही दुष्कर्म हो रहे हैं। हत्या, लूट से हाहाकार मचा है। कानून व्यवस्था मजाक बनकर रह गई है।' उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी सरकार के समय प्रदेश उत्तम प्रदेश बन रहा था। भाजपा ने प्रदेश की छवि खराब करके उसे हत्या प्रदेश बना दिया। दुनियाभर में बदनामी करा दी। विकास अवरूद्ध है। भाजपा के तौर तरीकों ने लोकतंत्र में व्यवस्था को बीमार कर दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राज में लोगों का धंधा, कारोबार चौपट हो गया है और उस पर बिजली, पेट्रोल, डीजल के बढ़े दामों ने मंहगाई से उत्तर प्रदेश की जनता की कमर तोड़ दी है। चुनाव जीतने के बाद मतलबी सरकार अपनी मनमानी से जनता से अधिक-से अधिक कर वसूल लेना चाहती है। ऐसे हालात में जनता खुद को प्रताड़ित महसूस कर रही है।
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, राज्य और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
बिहार
बॉलीवुड
दिल्ली NCR
Advertisement
प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
Opinion