लखनऊ, एबीपी गंगा। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर योगी सरकार पर निशाना साधा है। मंगलवार को अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में पूरी तरह से जंगलराज है। यहां कानून-व्यवस्था खतरनाक हो रही है। आज देश में ही नहीं विदेशों में भी यूपी की बदनामी हो रही है। इसके लिए भाजपा सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है। अखिलेश ने आगे कहा कि कानून की लचर व्यवस्था और पुलिस तंत्र की संवेदनहीनता के चलते प्रदेश की बहू-बेटियों की जिंदगी असुरक्षित है। विडम्बना है कि मुख्यमंत्री जी के तमाम बयानों और सरकार के तमाम फैसलों के बावजूद महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही है। यही नहीं दुष्कर्म के साथ जिंदा जला देने जैसे जघन्य कांड भी होने लगे है।



पुलिस प्रशासन पर उठाए अखिलेश ने सवाल
अखिलेश ने कहा, 'मुख्यमंत्री जी ने कल ताबड़तोड़ कई घोषणाएं की। फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट, रात में महिलाओं को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए पुलिस फोर्स जैसी व्यवस्थाओं पर प्रदेश मंत्रिमण्डल ने निर्णय किया। पहले भी सख्त से सख्त कार्यवाही और अपराध के प्रति जीरों टोलरेंस जैसे मुहावरे मुख्यमंत्री जी से सुने गए हैं, लेकिन नतीजा हर बार ढाक के तीन पात जैसा दिखाई दिया है। उन्नाव के जघन्य कांड के बाद भी दुष्कांड हो रहे है। अजीब बात है कि जो पुलिस दिन में बच्चियों-महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर सकती वह रात में अकेली महिला को क्या सुरक्षा देगी?'


'विभाजनकारी नीतियां बना रही है डबल इंजन सरकार'
अखिलेश ने यह भी कहा कि जहां तक महिलाओं और बच्चियों के प्रति आपराधिक घटनाओ के बढ़ने का सवाल है पिछले दो-तीन दिनों में ही कई दुष्कर्म हुए हैं। बदायूं में एक किशोरी से दुष्कर्म, अंबेडकरनगर में एक ऑटो चालक ने महिला का रेप किया, मैनपुरी के करहल में एक छात्रा के अपहरण की कोशिश हुई, हरदोई में जिंदा जलाकर मार देने की धमकी से आतंकित दो सगी बहनों ने स्कूली पढ़ाई छोड़ दी। हरदोई में ही दो आरोपितों को पुलिस ने थाने से छोड़ दिया तो छूटते ही उन्होंने पीड़िता के घर में आग लगा दी।


महिला सुरक्षा के लिए जब कारगर सुरक्षा व्यवस्था और प्रतिरक्षक सामाजिक वातावरण बनेगा तभी ऐसे जघन्य कांड रूकेंगे, लेकिन भाजपा की डबल इंजन सरकार तो विभाजनकारी नीतियां बनाने में ही लगी रहती है। क्या भाजपा के मुख्यमंत्री जी में नारी के सम्मान के लिए अंशमात्र भी संवेदनशीलता नहीं बची है?