Caste Census in UP: यूपी में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पहले दिन से ही राज्य में जातिगत जनगणना की मांग कर रही है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के नेतृत्व में सपा विधायकों ने विधानसभा में इसकी मांग की. लेकिन अब बीजेपी (BJP) ने सपा की इस मांग की काट खोज ली है. 


कन्नौज से बीजपी के सांसद सुब्रत पाठक ने मंगलवार को अपनी एक मांग रखते हुए कहा, "अखिलेश जी जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं तो मैं उसमें धार्मिक जनगणना की मांग जोड़ता हूं, क्योंकि विभाजन संप्रदाय के आधार पर हुआ था. उस समय देश में 7% अल्पसंख्यक थे, अब कितने हैं? कितने मुस्लिम, ईसाई हैं इसकी जनगणना होनी चाहिए."



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बीजेपी के सहयोगी सपा के साथ
दरअसल, सपा के ओर से लगातार राज्य में जातीय जनगणना कराने की मांग की जा रही है. इसकी मांग अखिलेश यादव ने विधानसभा सत्र के दौरान योगी सरकार से रखी है. जिसमें उन्होंने बीजेपी के सहयोगी दलों से भी इसपर सहयोगी मांगा था. तब बीजेपी गठबंधन के निषाद दल और अपना दल एस के अलावा ओम प्रकाश राजभर ने भी इसका समर्थन किया था.


लेकिन अब बीजेपी सांसद के एक बयान से ये पूरी सियासी बयानबाजी पलट गई है. अब राज्य में बीजेपी समाजवादी पार्टी की जातीय जनगणना वाली मांग के खिलाफ अपनी धार्मीक जनगणना की मांग रखेगी. इसका असर आने वाले चुनाव पर देखा जा सकता है. 


अब अगर यूपी में सपा 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ओबीसी समीकरण को बिगाड़ने के लिए अपनी जातीय जनगणना की मांग रखती है तो बीजेपी के पास इसका तोड़ आ चुका है. बीजेपी अब जातीय जनगणना की मांग के खिलाफ धार्मीक जनगणना की मांग रख सकती है. बता दें कि विधानसभा सत्र के दौरान जातीय जनगणना की मांग को लेकर सपा विधायकों ने धरना प्रदर्शन भी किया था.