अखिलेश यादव के महाकुंभ में लापता श्रद्धालुओं वाले दावे की क्या है हकीकत? पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
Mahakumbh 2025: महाकुंभ क्षेत्र में थानों और पुलिस चौकियों के साथ ही रास्तों और चौराहों से लेकर मंदिरों व दूसरे प्रमुख स्थानों पर अब भी जगह-जगह गुमशुदा लोगों के पोस्टर लगे हुए हैं.

UP News: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार (19 मार्च) को लोकसभा में बयान देते हुए दावा किया था कि प्रयागराज महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने आए एक हजार से ज्यादा श्रद्धालु अब भी लापता हैं.
सपा चीफ ने दावा किया था कि सरकार इन गुमशुदा लोगों को ढूंढने के बजाय उनके पोस्टर हटवाने का काम कर रही है. अखिलेश यादव के इस दावे की पड़ताल करने के लिए ABP न्यूज की टीम आज महाकुंभ नगर पहुंची. हमारे संवाददाता मोहम्मद मोईन ने तमाम जगहों पर पड़ताल की तो अखिलेश यादव के पोस्टर हटाए जाने के दावे पूरी तरह गलत और हवा हवाई पाए गए.
महाकुंभ क्षेत्र में थानों और पुलिस चौकियों के साथ ही रास्तों और चौराहों से लेकर मंदिरों व दूसरे प्रमुख स्थानों पर अब भी जगह-जगह गुमशुदा लोगों के पोस्टर लगे हुए हैं. यह अलग बात है कि जिन लोगों के लापता होने के पोस्टर लगे हुए हैं, उनमें से कुछ लोग अब सुरक्षित अपने घर वापस भी पहुंच चुके हैं.
त्रिवेणी रोड बांध चौराहे पर पहुंची एबीपी की टीम
एबीपी न्यूज की ग्राउंड रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि अखिलेश यादव ने न सिर्फ पोस्टरों को हटाए जाने को लेकर साफ झूठ बोला है, बल्कि गुमशुदा लोगों की संख्या पर भी गलत बयानबाजी की है. एबीपी न्यूज की टीम सबसे पहले महाकुंभ क्षेत्र में त्रिवेणी रोड बांध चौराहे पर पहुंची. यहां चौराहे के एक तरफ संगम पर्यटन पुलिस स्टेशन है और उससे थोड़ी दूर पर संगम पुलिस चौकी है.
वहीं दूसरी तरफ प्राचीन श्री राम जानकी मंदिर है तो बगल में ही दत्तात्रेय संस्था का गेट बना हुआ है. कई जगह होर्डिंग्स लगी हुई है. इसके अलावा टेलीफोन एक्सचेंज यूनिट और ट्रैफिक पुलिस की बैरिकेडिंग भी रखी हुई है.
होर्डिंग्स और बैरिकेडिंग पर भी लापता लोगों के पोस्टर हैं अभी लगे
महाकुंभ क्षेत्र में अंतर्गत यह सबसे बड़ा और भीड़ वाला चौराहा है. यहां थाने और पुलिस चौकी से लेकर मंदिर और गेट की दीवारों के साथ ही होर्डिंग्स और बैरिकेडिंग पर भी लापता लोगों के पोस्टर लगे हुए हैं. इसके अलावा उस हनुमान मंदिर की दीवारों और सभी गेट पर भी दर्जनों गुमशुदा व लापता लोगों के पोस्टर लगे हुए हैं, जहां महाकुंभ के दौरान संगम के बाद सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती थी.
महाकुंभ में पुलिस ने बनाए थे 56 थाने
महाकुंभ में वैसे तो पुलिस ने 56 थाने बनाए थे, लेकिन एफआईआर कोतवाली पुलिस स्टेशन में ही दर्ज होती थी. इस पुलिस स्टेशन में भी तमाम लोगों के पोस्टर लगे हुए हैं. महाकुंभ क्षेत्र में कई अन्य जगहों पर भी लापता व गुमशुदा लोगों के पोस्टर अब भी पहले की तरह लगे हुए हैं.
अखिलेश यादव ने महाकुंभ में एक हजार से ज्यादा लोगों के लापता होने का जो बयान दिया था, वह भी गलत है. इस बारे में महाकुंभ प्रशासन की तरफ से दिए गए आंकड़े में बताया गया है कि महाकुंभ में बनाए गए डिजिटल खोया पाया केंद्रों में डेढ़ महीने में 35952 श्रद्धालु भारी भीड़ में अपनों से बिछड़ गए थे.
महाकुंभ के समापन पर जिस दिन खोया पाया केंद्रों को बंद किया गया, उस दिन तक वहां 869 लोगों को उनके परिजनों से मिलाया नहीं जा सका था. कैमरे पर सामने आए बिना अफसरों ने बताया कि इन 869 लोगों में ज्यादातर ऐसे थे, जो अपने घर सीधे पहुंच गए या फिर महाकुंभ में ही अपने परिवार वालों से किसी जगह मिल गए.
महाकुंभ में 472 एफआईआर दर्ज की गईं
इन लोगों ने खोया पाया केंद्रों में आकर गुमशुदा लोगों के बारे में जानकारी नहीं दी. इस वजह से केंद्र की तरफ से इन्हें मिलाने वालों के आंकड़े में शामिल नहीं किया गया है. इन 869 लोगों में बहुत से ऐसे भी लोग हैं, जिनके पास मोबाइल फोन नहीं थे या उनके नंबर अब काम नहीं कर रहे हैं. ऐसे में उनसे फोन के जरिए भी संपर्क नहीं किया जा सका है. एक हजार से ज्यादा लोगों के लापता होने का दावा इसलिए भी गलत है, क्योंकि पूरे महाकुंभ में 472 एफआईआर दर्ज की गई थी. इनमें से दस फीसदी भी लोगों के लापता होने की नहीं थी.
प्रयागराज के तीर्थ पुरोहितों ने अखिलेश के दावे को बताया गलत
प्रयागराज के तीर्थ पुरोहितों ने भी अखिलेश यादव के दावे को गलत बताते हुए कहा है कि तमाम जगहों पर लापता लोगों के पोस्टर लगे हुए हैं और उन्हें हटाया नहीं गया है.
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