लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को दावा किया कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 350 से ज्यादा सीटें जीतकर बहुमत की सरकार बनाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट में भूमि खरीद के मामलों में कथित तौर पर घोटाला होने की खबर है जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और ट्रस्ट के सभी सदस्यों को इस्तीफा देना चाहिए.
सपा प्रमुख ने एक बयान में कहा, ''अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में भूमि खरीद के मामलों में भारी घोटाला होने की खबर है, करोड़ों की हेराफेरी का मामला बताया जा रहा है, इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. ट्रस्ट के सभी सदस्यों को इस्तीफा देना चाहिए. अयोध्या के धर्मपुर गांव में किसानों की भूमि हवाई अड्डा के लिए अधिग्रहित की जा रही है. किसानों को समुचित दर पर मुआवजा मिलना चाहिए.''
अखिलेश यादव ने बयान में आरोप लगाया, ''समाज में भेदभाव और विपक्ष के प्रति बदले की भावना से कार्रवाई होने से बीजेपी सरकार जनता की निगाहों में अपनी साख खो चुकी है और अच्छे दिनों की जनता की उम्मीदें टूट गई हैं.'' उन्होंने दावा किया, ''2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की विदाई और समाजवादी सरकार बनने में गिने-चुने दिन रह गये हैं और 350 से ज्यादा विधायकों की ताकत के साथ समाजवादी पार्टी की सरकार बहुमत में आएगी.''
बीजेपी ने एक भी अपना वादा पूरा नहीं किया- अखिलेश यादव
यादव ने प्रदेश के मतदाताओं को पंचायत चुनावों में समाजवादी पार्टी को जिताने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि कोरोना संकट और प्रशासनिक दबाव के बावजूद बड़ी तादाद में समाजवादी पार्टी को जीत दिलाकर लोगों ने लोकतंत्र को बचाने का काम किया है. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में महंगाई ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और 12.94 प्रतिशत के सर्वोच्च स्तर पर बढ़ी महंगाई से घरेलू अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट है. पेट्रोल-डीजल के दामों में जबरदस्त वृद्धि से खाद्य सामग्री, परिवहन सभी महंगे हो गए हैं. यादव ने कहा कि मंडियों की व्यवस्था चौपट होने से किसान बदहाल हैं और उन्हें फसल का लाभकारी मूल्य मिल नहीं रहा है और न किसान की आय दुगनी हुई.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ''सच तो यह है कि बीजेपी ने एक भी अपना वादा पूरा नहीं किया, नौजवानों से रोजगार देने के नाम पर छल हुआ, भर्ती के विज्ञापन बहुत छपे परन्तु भर्ती कहीं नहीं हुई और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे चार साल में भी नहीं बना. प्रदेश में एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ. उल्टे उसे महंगा कर दिया गया.''
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