Jayveer Singh Join BJP: मेरठ में समाजवादी पार्टी को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने बड़ा झटका दिया है. इसको लेकर सपा बीजेपी पर हमलावर हो गई है. जबकि बीजेपी भी पलटवार करने में पीछे नहीं है. मेरठ से शुरू हुई ये हलचल लखनऊ तक भी सुनाई दे रही है और सपा भाजपा में जुबानी घमासान शुरू हो गया है


निकाय चुनाव में सपा में चल रही रार और आपसी तकरार किसी से छिपी नहीं थी. सपा को हार मिली, लेकिन अंदरूनी कलह इस कदर बढ़ती चली गई कि सपा जिलाध्यक्ष चौधरी जयवीर सिंह को अखिलेश यादव की साइकिल की सवारी छोड़ना ज्यादा बेहतर लगा और बीजेपी की नीतियां उनके मन को भा गई. सपा को अलविदा कह भाजपाई हुए चौधरी जयवीर सिंह जो कहानी बयां कर रहें हैं वो सपा मुखिया अखिलेश यादव को टेंशन में डाल रही हैं.


चौधरी जयवीर सिंह को सपा जिलाध्यक्ष बनाया गया था


दरअसल, निकाय चुनाव से पहले ही चौधरी जयवीर सिंह को सपा जिलाध्यक्ष बनाया गया था. सपा विधायक शाहिद मंजूर से उनका छत्तीस का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं. पूर्व जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह भी उनके विरोध में थे. सपा मेरठ में कई खेमों में बंटी है और जब सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मेरठ से महापौर चुनाव लड़ाया गया तो भी ये खेमेबंदी और बढ़ गई. सपा विधायक रफीक अंसारी, सपा विधायक शाहिद मंजूर, आरएलडी विधायक गुलाम मोहम्मद, पूर्व विधायक योगेश वर्मा खुलकर सीमा प्रधान की मुखालफत करते रहे. यहां तक कि अखिलेश यादव के रोड शो में भी ये नाराज विधायक नहीं पहुंचे.


नतीजा सीमा प्रधान न सिर्फ चुनाव हारी बल्कि तीसरे नंबर पर पहुंच गई और पार्टी की किरकिरी हुई. अब इस हार के बाद और सपा में चल रही अंदरूनी कलह से नाराज सपा जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह सपा छोड़ भाजपाई हो गए. सपा में इस बगावत से लखनऊ से दिल्ली तक हलचल मचा डाली, क्योंकि सपा को इससे बड़ा झटका लगा. जयवीर के पार्टी छोड़ने के बाद उनके पार्टी से निष्कासन का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसपर 11 जून अंकित है, अब ऐसा था तो ये पत्र 11 से अब तक कहां छिपा  रहा. हालांकि सपा विधायक शाहिद मंजूर अब जयवीर सिंह को हल्का फुल्का नेता बताकर अपना दर्द छिपा रहे हैं और ये कटाक्ष भी कर रहे हैं की शायद बीजेपी का दिवालिया निकल गया जो इस पावरफुल आदमी की जरूरत पड़ गई.


ईसके बाद कई नेताओं के बयान आने लगे.


शाहिद मंजूर, सपा विधायक


अब सपा विधायक शाहिद मंजूर की बात बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपई को चुभ गई. उन्होंने कह डाला कि शाहिद मंजूर से ये उम्मीद नहीं थी.  अगर जयवीर हल्के फुल्के थे तो फिर क्या सपा में जिलाध्यक्ष ऐसे ही बनाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि एक एक कार्यकर्ता कीमती है और अभी तो देखिए कितने झटके पर झटके सपा को लगेंगे.


 डॉ लक्ष्मीकांत वाजपई, राज्यसभा सांसद, बीजेपी


अब सपा की सहयोगी आरएलडी भी बीजेपी के इस झटके से परेशान है कि अगर सपा का जिलाध्यक्ष ही बीजेपी तोड़ लेगी तो 2024 में क्या होगा. हालांकि बात संभालते हुए आरएलडी नेता बस इतना कह रहें हैं जिसका जहां मन है वहां चले जाओ, हम क्या कहें.


नरेंद्र खजूरी, आरएलडी वरिष्ठ नेता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एससी एसटी प्रकोष्ठ।


सपा और आरएलडी के नेता कुछ भी कहें लेकिन इतना तय है कि सपा को घेरने के लिए बीजेपी को बड़ा मौका जरूर मिल गया है और अखिलेश के सिपाही यूही पाला बदलते रहे तो क्या होगा.
सपा जिलाध्यक्ष रहे जयवीर सिंह का साइकिल की सवारी छोड़ना और बीजेपी ज्वाइन करना महज इत्तेफाक नहीं है, बल्कि सपा में गहरी होती गुटबाज़ी और उसपर लगाम न लग पाना बड़ी वजह है. सपा के नेता अब कुछ भी कहें लेकिन 2024 से पहले ये अखिलेश यादव की टीम को बड़ा झटका है, अब अखिलेश इससे क्या सबक लेंगे और पार्टी में बढ़ती बीजेपी की घुसपैठ कैसे रोकेंगे इस पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि यही हाल रहा तो पश्चिम में बदलाव की उम्मीद को बड़ा झटका लग सकता है.


यह भी पढ़े: अखिलेश यादव बोले- 'सपा की रेड पावर BJP के लिए रेड जोन', अब मिला ये जवाब