मुलायम सिंह यादव की नीति से अलग अखिलेश ने लिया बड़ा फैसला, अब शुरु हुई ये चर्चा, क्या सफल होगा 'प्रयोग'
Akhilesh Yadav के एक चुनावी फैसले की यूपी में चहुंओर चर्चा हो रही है. बीजेपी भी सपा प्रमुख के कदम से हैरान है. अब देखना होगा कि अखिलेश यादव का नया प्रयोग कितना कारगर होगा.
UP Lok Sabha Chunav 2024: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव की गैरमौजूदगी में सपा सबसे बड़ी चुनावी लड़ाई लड़ रही है. इस चुनाव में न सिर्फ सपा प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है बल्कि परिवार के ही चार अन्य लोग भी चुनावी मैदान में हैं. हालांकि बीते 10 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब सपा चुनाव लड़े और परिवार से बाहर किसी यादव को टिकट न दे. सपा प्रमुख की मौजूदा सियासी लाइन, उनके पिता स्व. मुलायम सिंह यादव से बिल्कुल जुदा दिखती है. उनके पिता ने एक ओर जहां यादवों के भरोसे सियासत की और परिवार से बाहर भी यादव समाज के लोगों को प्रत्याशी बनाते रहे वहीं अखिलेश यादव की मौजूदा रणनीति न सिर्फ सपा बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भी चौंका रही है.
सूत्रों का कहना है कि सपा खुद को घोषित तौर पर यादवों की पार्टी नहीं कहलवाना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक, सपा परिवारवाद के आरोपों का तो जमकर मुकाबला कर सकती है लेकिन जब वह समाज के हर तबके की बात कर रही हो तो ऐसे में वह सिर्फ यादवों की पार्टी बने रहने का आरोप अपने सिर नहीं लने चाहती. कई मौकों पर परिवारवाद के जवाब में अखिलेश यादव यह कह चुके हैं कि जो लोग परिवार वाले हैं वह बीजेपी को वोट न करें या बीजेपी उनसे वोट न मांगे.
62 सीटों पर चुनाव लड़ रही सपा
मौजूदा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस साथ मैदान नें उतरी सपा 62 सीटों पर इलेक्शन लड़ रही है. अब तक 59 उम्मीदवार भी उतार दिए गए हैं हालांकि कन्नौज से खुद सपा प्रमुख, आजमगढ़ से धर्मेंद्र, मैनपुरी से डिंपल, बदायूं से आदित्य और फिरोजाबाद से अक्षय चुनावी मैदान में हैं. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार राज्य में 19.40 फीसदी यादव हैं. ऐसे में वह अखिलेश के इस नए प्रयोग से खुद को कितना जोड़ पाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
बीते चुनाव की बात करें तो साल 2019 में सपा ने 11 यादवों को प्रत्याशी बनाया था. इसमें मुलायम सिंह यादव और अखिलेश के अलावा अन्य सभी 9 प्रत्याशी हार गए थे. वहीं साल 2014 में सपा ने 13 यादवों को प्रत्याशी बनाया था जिसमें मुलायम समेत पांच लोग चुनाव जीते थे. उस समय अखिलेश यूपी के सीएम थे. बता दें सात बार के सांसद मुलायम सिंह यादव ने पहली बार साल 1999 में लोकसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी. उसके बाद साल 2000 में अखिलेश पहली बार लोकसभा चुनाव के रण में उतरे और जीत दर्ज की थी.