UP Politics: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से महज अठारह दिन पहले उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव हुए थे. अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव में पार्टी और सहयोगी दल के नेताओं के विरोध व एतराज के बावजूद फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन को न सिर्फ़ उम्मीदवार बनाया था, बल्कि सूबे के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन की कुर्बानी देकर उन्हें जीत भी दिलवाई थी. लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन को स्टार प्रचारक भी बनाया. देश में पांच चरणों के चुनाव खत्म हो चुके हैं. छठे चरण के प्रचार में सिर्फ कुछ घंटे ही बचे हैं, लेकिन अखिलेश यादव ने पार्टी और सहयोगी दल के तमाम नेताओं की नाराजगी के बावजूद जिस जया बच्चन को राज्यसभा का सांसद बनवाया और जिनका नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में डाला, वह जया बच्चन लोकसभा चुनाव में एक भी दिन एक भी पल के लिए कहीं नजर नहीं आई. 


सवाल यह है कि आखिर जया बच्चन चुनाव प्रचार से गायब क्यों हैं. क्या वह नाराज हैं या कुछ और बात है. वैसे इस बारे में समाजवादी पार्टी का दावा है कि स्वास्थ्य कारणों की वजह से जया बच्चन प्रचार नहीं कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. पार्टी की तरफ से यह भी साफ किया गया है कि जया बच्चन फिलहाल सातवें व अंतिम चरण में भी प्रचार नहीं करेंगी.


जया बच्चन के चुनाव प्रचार से कन्नी काटने को लेकर जितने मुंह- उतनी बातें हैं. किसी का दावा है कि जया बच्चन समाजवादी पार्टी से नाराज चल रही हैं. इसी वजह से उन्होंने दूरी बनाकर रखी है, तो कोई दबी जुबान यह कह रहा है कि कांग्रेस पार्टी से समझौते को लेकर उन्होंने खुद को चुनाव प्रचार से दूर रखा है. राहुल गांधी समेत कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने चुनाव में जिस तरह से अमिताभ बच्चन वा बहू ऐश्वर्या का नाम लेकर निशाना साधा, उससे जया बच्चन नाराज हैं. उनके पति अमिताभ बच्चन के अयोध्या में रामलला के दरबार में माथा टेकने को भी जोड़कर देखा जा रहा है. कुछ लोगों का दावा है कि बच्चन परिवार सत्ताधारी बीजेपी से नाराजगी नहीं मोल लेना चाहता, इस वजह से जानबूझकर चुनाव प्रचार से अलग है.


जया बच्चन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म
जया बच्चन को लेकर चर्चाओं का बाजार इसलिए भी गर्म है, क्योंकि उन्होंने पार्टी के पक्ष में सोशल मीडिया पर भी कोई बयान जारी नहीं किया. किसी प्रत्याशी को जिताने तक की अपील नहीं की. वजह भले ही कुछ हो, लेकिन जया बच्चन के नाम का विरोध करने की वजह से ही INDIA गठबंधन से बाहर की गई अपना दल कमेरावादी की नेता और समाजवादी पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं.


पल्लवी पटेल का मानना है कि उन्होंने राज्यसभा चुनाव में पीडीए प्रत्याशियों को ही उतारे जाने की वकालत की थी. उन्हें जिस बात की आशंका थी, उसे जया बच्चन ने चुनाव प्रचार से दूर रहकर सही साबित कर दिया है. बीजेपी भी इस मुद्दे पर चुटकी ले रही है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि डूबती हुई नाव का कोई भी खेवनहार नहीं बनना चाहता. राहुल - अखिलेश की जोड़ी पर जनता के साथ ही उनकी पार्टी के नेता भी भरोसा नहीं जता पा रहे हैं.


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सपा ने किया ये दावा
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल का कहना है कि जया बच्चन का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसी वजह से वह चुनाव प्रचार नहीं कर पा रही हैं. उन्होंने ही इस बात की पुष्टि की है कि जया बच्चन सातवें व अंतिम चरण में भी प्रचार नहीं करेंगी. हालांकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि अगर उनकी तबीयत खराब थी तो पार्टी ने उन्हें तमाम लोगों की नाराजगी मोल लेते हुए राज्यसभा क्यों भेजा और उनका नाम स्टार प्रचारकों की सूची में क्यों डाला गया. अगर किन्ही वजह से वह आसमान से बरसती आग वाली गर्मी में सड़कों पर उतरकर चुनाव प्रचार नहीं कर पा रही हैं तो वह आखिरकार सोशल मीडिया पर भी सक्रिय क्यों नहीं है. सोशल मीडिया के जरिए भी वह प्रचार क्यों नहीं कर रही हैं. वह दूसरे उम्मीदवारों के अलावा अखिलेश और डिंपल यादव के प्रचार में भी क्यों नहीं गई. उनके लिए भी कोई अपील जारी क्यों नहीं की.


गौरतलब है कि जया बच्चन की उम्मीदवारी को लेकर ही समाजवादी पार्टी के तकरीबन आधा दर्जन विधायको ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी. पल्लवी पटेल की मुखर बयानबाजी के बाद अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी से इस चुनाव में कोई समझौता नहीं होने का ऐलान कर दिया था. पल्लवी पटेल को किसी सीट से उम्मीदवार तक नहीं बनाया गया. यह अलग बात है कि जया बच्चन की ससुराल प्रयागराज समेत तमाम सीटों से पार्टी नेताओं की तरफ से उनसे जनसभा या रोड शो कराने की डिमांड की गई थी.