UP Politics: अखिलेश यादव का ये दांव चल गया तो BJP के लिए काट ढूंढना होगा मुश्किल, जानें- क्या है खास रणनीति
Lok Sabha Election: समाजवादी पार्टी एक बार फिर पिछड़ों, दलितों और मुस्लिम को एकजुट कर लोकसभा चुनाव में बीजेपी से सीटें झटकने के प्रयास में लगेगी.
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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पिछड़ों, मुस्लिमों व दलितों का कॉम्बिनेशन बनाने में जुटी है. जिसकी झलक उनकी घोषित हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देखने को मिली है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ओबीसी वोटों में खासकर नॉन यादव को गोलबंदी में लगे हैं. इसी कारण वो जातीय समीकरण की बिसात को ढंग से बिछाने में लगे हैं. वह चाहते हैं कि ओबीसी को लामबंद करने के लिए एक के बाद एक मुद्दे देते रहें. इसी कारण स्वामी प्रसाद लगातार रामचरित मानस को लेकर सवाल उठा रहे हैं.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मौर्य ही नहीं बसपा व कांग्रेस से आए कई नेताओं को खासी अहमियत मिली है. बताया जा रहा है कि ठीक ऐसे ही कोई कॉम्बिनेशन की झांकी प्रदेश की टीम में दिखेगी.
सपा के एक नेता ने बताया कि अभी ओबीसी आरक्षण, जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर सत्तारूढ़ दल को घेरने के तैयारी है. अखिलेश यादव को पता है इन सबकी की काट ढूढने में बीजेपी को थोड़ी मुश्किल होगी. इसी कारण इन मुद्दों पर जिलों में भी रणनीति बन रही है. जाति के हिसाब से पार्टी में समायोजन की तैयारी है. विधानसभा चुनाव में मुद्दे दूसरे थे, अब इन इन मामलों को उठाकर राष्ट्रीय स्तर तक ले जाया जा सकता है. पिछड़ी जातियों को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से अपने पाले में कर रखा है. थोड़ा इस चुनाव में यादव और मुस्लिम और गैर यादव बिरादरी का कुछ हिस्सा सपा को मिला था, बांकी पर बीजेपी ने बाजी मार ली. उसी का नतीजा रहा कि उनकी सरकार बन गई. लेकिन मैनपुरी के उपचुनाव में जिस प्रकार यादव के अलावा दलित का वोट हमें मिला है, उससे पार्टी ने एक बार फिर दलितों को महत्व देना शुरू किया है.
14 राष्ट्रीय महासचिवों में एक भी ब्राह्मण व क्षत्रिय नहीं
राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पाण्डेय कहते हैं कि कल घोषित हुई सपा की राष्ट्रीय टीम को देखें तो 11 यादव व 9 मुस्लिमों को पद देकर समाजिक संतुलन साधने का प्रयास किया गया है. 14 राष्ट्रीय महासचिवों में एक भी ब्राह्मण व क्षत्रिय नहीं है.
साथ ही गैर-यादव ओबीसी जातियों के नेताओं को भी खास तवज्जो दी है. इस बार कार्यकारिणी में 9 मुस्लिम, 11 यादव, 25 गैरयादव ओबीसी, 10 सवर्ण, 6 दलित, एक अनुसूचित जनजाति व एक ईसाई हैं. ब्राह्मण नेताओं में अभिषेक मिश्र, तारकेश्वर मिश्र, राज कुमार मिश्र, पवन पांडेय भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किए गए हैं. दो ठाकुर हैं. गैरयादव में तीन कुर्मी व पांच जाट हैं. दूसरे दलों से आए नेताओं को तवज्जो देकर एक बार फिर संदेश देने की कोशिश की गई है. सपा एक बार फिर पिछड़ों, दलितों और मुस्लिम को एकजुट कर लोकसभा चुनाव में बीजेपी से सीटें झटकने के प्रयास में लगेगी.
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