लखनऊ. समाजवादी पार्टी ने हाथरस में दलित समुदाय की महिला के साथ कथित सामूहिक बलात्कार व उसकी मौत के मामले में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा निलंबित किये गये कुछ अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज किये जाने की शनिवार को मांग की. सपा अध्‍यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जनता को तब संतोष होगा, जब उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से हाथरस घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी.


उन्होंने कहा, 'हाथरस कांड में भाजपा सरकार की लीपापोती की नीति के विरूद्ध प्रदेश में जनाक्रोश थम नहीं रहा है.’’


अफसरों पर दर्ज हो FIR


उन्होंने कहा, ‘‘इससे डर कर और अपना कृत्य छुपाने के लिए कुछ अधिकारियों को (राज्य सरकार द्वारा) हटा जरूर दिया गया है, लेकिन न्याय की मांग है कि उन पर प्राथमिकी भी दर्ज हो. ताकि उनसे यह सच उगलवाया जा सके कि किस के दबाव में उन्होंने आतंक फैलाया ? रात में परम्परा के विपरीत दलित युवती का शव क्यों जला दिया और पीड़िता के परिवार को बंधक बनाकर क्यों रखा? मीडिया व विपक्षी सांसदों तक से क्यों दुर्व्यवहार किया गया? उन्हें पीड़िता के परिवार से क्यों नहीं मिलने दिया?’’


गौरतलब है कि राज्य सरकार ने मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी रामशब्द और तीन अन्य पुलिकर्मियों को निलंबित कर दिया है.


हाथरस में करीब पखवाड़े भर पहले चार लोगों ने 19 वर्षीय एक दलित महिला से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था. पीड़िता की मंगलवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई, जिसके बाद रातोंरात उसका दाह-संस्कार कर दिया गया.


पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिसकर्मियों ने जबरन उसके शव का दाह-संस्कार कर दिया।


सपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया गया


सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि हाथरस पीड़िता के लिये लखनऊ के हजरतगंज स्थित जीपीओ पार्क में गांधी जयंती पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना देने जा रहे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं एवं विधायकों को गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही, सपा कार्यकर्ताओं पर बर्बरता से लाठीचार्ज कर राज्य की भाजपा सरकार ने सत्य की आवाज हिंसक तरीके से दबाने की कोशिश की.


उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘महिलाओं को गिरफ्तारी से पूर्व सड़क पर गिराकर घसीटा गया, उनके कपड़े फाड़े गए और अपमानित किया गया. यह कृत्य निन्दनीय है. महोबा-हाथरस की घटनाओं से लगता है कि प्रदेश में डीएम-एसपी (जिलाधिकारी-पुलिस अधीक्षक) के नए गैंग (गिरोह) को जन्म दे दिया गया है. अपराधी और पुलिस का भी गठबंधन होने लगा है।. मुख्यमंत्री का उन पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है.’’


ये भी पढ़ें.


हाथरस, बलरामपुर के बाद अब लखनऊ में गैंगरेप की वारदात, रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये थाने के चक्कर लगा रही है पीड़िता


हाथरस गैंगरेप केस: मेरठ में सपा कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन, बोले- आरोपियों को दी जाए फांसी