Akhilesh Yadav: महाराष्ट्र के पुणे में काम के बोझ से एक 26 साल की युवती की मौत हो गई. जिसे लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कॉरपोरेट जगत में बढ़ते काम के बोझ को लेकर सवाल उठाए हैं. सपा अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी देश के विकास का मानक इस बात पर आधारित होता है कि वहां काम और लाइफ बैलेंस कैसा है. उन्होंने कर्मचारियों के मानसिक तनाव के लिए आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार बताया. 


अखिलेश यादव ने पुणे की घटना पर एक लंबी चौड़ी पोस्ट लिखते हुए देश की मेंटल हेल्थ को जरूरी बताया और कहा कि कहा कि जब मेंटल हेल्थ अच्छी होगी तो देश की तरक्की भी होगी. 


अखिलेश यादव ने वर्क लाइफ बेलेंस पर उठाए सवाल


सपा अध्यक्ष ने लिखा- ‘Work-life balance’ का संतुलित अनुपात किसी भी देश के विकास का एक मानक होता है. पुणे में एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम करनेवाली एक युवती की काम के तनाव से हुई मृत्यु और उस संदर्भ में उसकी माँ का लिखा हुआ भावुक पत्र देश भर के युवक-युवतियों को झकझोर गया है. ये किसी एक कंपनी या सरकार के किसी एक विभाग की बात नहीं. बल्कि कहीं थोड़े ज्यादा, कहीं थोड़े कम, हर जगह लगभग एक-से ही प्रतिकूल हालात हैं.'


उन्होंने कहा- देश की सरकार से लेकर कॉरपोरेट जगत तक को इस पत्र को एक चेतावनी और सलाह के रूप में लेना चाहिए. यदि काम की दशाएं और परिस्थितियां ही अनुकूल नहीं होंगी तो परफॉरमेंस और रिजल्ट्स कैसे अनुकूल होंगे. इस संदर्भ में नियम-कानून से अधिक आर्थिक हालातों को सुधारने की जरूरत है. सच तो ये है कि जिस प्रकार बेरोजगारी है और काम व कारोबार सरकार की गलत नीतियों और बेतहाशा टैक्स की वजह से मंदी और घटती मांग का शिकार हुआ है, उससे व्यापारिक घाटे की ओर बढ़ते कारोबार पर कम-से-कम इम्प्लॉयिज से अधिक-से-अधिक काम करवाये जाने का जबरदस्त दबाव है. ऊपर-से-लेकर नीचे तक हर इम्प्लायी एक-दूसरे के दबाव में है. बड़े संदर्भों में देखा जाए तो दरअसल इस दबाव-तनाव का मूल कारण आर्थिक नीतियों की नाकामी है. 


आर्थिक नीतियों को बताया जिम्मेदार


अखिलेश ने कहा कि सरकार जिस दिन अपने को दोषी मानकर बदलाव लाएगी, सकारात्मक आर्थिक नीतियां बनाएगी, टैक्स सिस्टम और रेट को शोषणकारी न बनाकर लॉजिकल बनाएगी, वर्किंग कंडीशन्स को टेंशन फ़्री बनाएगी, उस दिन से सरकारी कर्मचारियों से लेकर काम-कारोबार-कॉरपोरेट जगत के इम्प्लॉयिज़ तक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगेंगे. 


सपा नेता ने लिखा कि जब देश की मेंटल हेल्थ अच्छी होगी तभी तरक़्क़ी होगी. सरकार को इस संदर्भ में सबसे पहले अपनी सोच बदलनी होगी और काम करने के तरीकों को भी, जहाँ ज़्यादा-से-ज़्यादा घंटे काम करने का दिखावटी पैमाना नहीं बल्कि अंत में परिणाम क्या निकला, ये आधार होना चाहिए.


दरअसल पुणे में एक अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेरायिल की कथित रूप से अत्यधिक काम के दबाव के चलते मौत हो गई. युवती की माँ ने इस संबंध में भावुक पत्र लिखा और कहा कि बॉस ने उनकी बेटी से इतना काम कराया कि उनकी बेटी दबाव में आ गई. 


'बिहार में जंगलराज, दलित सुरक्षित नहीं', नवादा की घटना पर सपा की प्रतिक्रिया