लखनऊ, एबीपी गंगा। सोनभद्र नरसंहार मामले पर सियासत जारी है। जहां अब कांग्रेस के बाद समाजवादी के कार्यकर्ता भी सोनभद्र जाने के लिए तैयार हैं। जमीन विवाद को लेकर हुए सामूहिक हत्याकांड के विरोध में और उसके पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए आज सपा कार्यकर्ता सोनभद्र जाएंगे। हालांकि, पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद सोनभद्र जाएंगे या नहीं, इसपर पार्टी ने कुछ साफ नहीं किया है। ऐसे में अगर अखिलेश लखनऊ से निकलकर सोनभद्र जाने की कोशिश करते हैं तो संभव है प्रशासन उन्हें यहीं रोकने की कोशिश करे। इसको लेकर लखनऊ में विवाद होने की गुंजाइश है।
सोनभद्र तक कूच करो....
अखिलेश इससे पहले जब प्रयागराज जाने वाले थे, तब भी प्रशासन ने उन्हें रोका था। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, चं
सोनभद्र नरसंहार में 10 लोगों को गोली मारकर हत्या
गौरतलब है कि गत 17 जुलाई को भू-माफियाओं ने सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र स्थित उम्भा गांव में 112 बीघा जमीन पर कब्जे को लेकर 10 लोगों की गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी थी। इस गोलीकांड में कई लोग घायल भी हो गए। सपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने 19 जुलाई को उम्भा गांव जाने का प्रयास किया था, मगर जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवारों से मिलने गए समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को गांव की सीमा पर ही रोक दिया था।
प्रियंका गांधी को भी सोनभद्र जाने से रोका गया था
ऐसे में टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। सपा से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भी उम्भा गांव जाने से रोक दिया गया था। सुरक्षा कारणों के चलते ऐसा किया गया था। जिस कारण प्रियंका गांधी अपने समर्थकों संग धरने पर भी बैठ गई थीं। जिसके बाद पीड़ित परिवार खुद उनसे मिलने चुनार गेस्ट हाउस पहुंचा था। बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को सोनभद्र में हुए सामूहिक हत्याकांड के पीड़ित परिवारों से मिलने जाने के दौरान शुक्रवार को मिर्जापुर के अदलहाट क्षेत्र में प्रशासन ने रोक कर अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत हिरासत में ले लिया था। बाद में उन्हें चुनार गेस्ट हाउस लाया गया था।
इस पूरे मामले पर योगी के निशाने पर कांग्रेस और सपा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि सोनभद्र में पिछले दिनों हुए सामूहिक हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त सपा से जुड़ा है। योगी ने कहा कि जहां तक सोनभद्र में 10 लोगों की नृशंस हत्या का मामला है तो मुझे यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि उसमें जो सूत्र सामने आए हैं वे सिर्फ आज से नहीं बल्कि वर्ष 1955 से जुड़े हैं। उस वक्त कांग्रेस के एक नेता ने वहां के वनवासियों और जनजातीय समुदाय की जमीन को गलत तरीके से एक पब्लिक ट्रस्ट के नाम पर दर्ज कराया। बाद में वर्ष 1989 में उस जमीन को अपने परिवार के सदस्यों के नाम कराया। ये बात उन्होंने सोमवार को विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान फिर दोहराई।