बंगाल वाला राजनीति का फार्मूला अब UP में, SP और BJP धूम-धाम से मनाएगी स्वामी विवेकानंद की जयंती
विवेकानंद की जयंती धूम धाम से मनाने की तैयारी यूपी बीजेपी की भी है. इस सिलसिले में 3 जनवरी को लखनऊ में पार्टी नेताओं की एक मीटिंग भी हो चुकी है.
लखनऊ: होड़ मची है. मामला वोट का है. माहौल चुनावी है. बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर और सुभाषचंद्र बोस से लेकर विवेकानंद को अपना बनाने की लड़ाई जारी है. अब यूपी में भी ये खेल शुरू हो गया है. जहां अगले साल की शुरुआत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. बीजेपी के सामने सत्ता में बने रहने की चुनौती है. तो समाजवादी पार्टी फिर से सरकार में वापसी के लिए जी जान से जुटी है.
12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती है. समाजवादी पार्टी ने हर ज़िले में उस दिन भव्य कार्यक्रम करने का फ़ैसला किया है. समाजवादी पार्टी में हुई बैठक के बाद इसका एलान हुआ. पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि विवेकानंद की जयंती पर घेरा बना कर नौजवानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी. यादव ने बताया कि बीजेपी सरकार हर साल दो करोड़ रोज़गार देने के वादे के साथ आई थी. लेकिन उसका ये वादा हवा हवाई ही साबित हुआ. आम तौर पर समाजवादी पार्टी राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश नारायण जैसे सोशलिस्ट नेताओं की ही जयंती मनाती रही है. लेकिन अब विवेकानंद के राष्ट्रवाद के बहाने उसकी कोशिश बीजेपी के हिंदू वोट बैंक में सेंध लगाने की है.
विवेकानंद की जयंती धूम धाम से मनाने की तैयारी यूपी बीजेपी की भी है. इस सिलसिले में 3 जनवरी को लखनऊ में पार्टी नेताओं की एक मीटिंग भी हो चुकी है. पार्टी ने युवा मोर्चा को ज़िम्मेदारी दी है. राज्य के हर ज़िले में उस दिन कार्यक्रम करने का फ़ैसला हुआ है. बीजेपी के प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन कहते हैं कि समाजवादी पार्टी विवेकानंद जयंती मनाए, ये अच्छी बात है. लेकिन पार्टी के नेता विवेकानंद जी के विचार पर कहां चलते हैं ? प्रतीकों और महापुरुषों के बहाने राजनीति की पुरानी परंपरा रही है.
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