मेरठ. उत्तराखंड में चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने के बाद भारी तबाही मची है. धौलीगंगा में अचानक आए बहाव ने यहां बने ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को पूरी तरह तबाह कर दिया. इसके अलावा यहां चल रहे एनटीपीसी के प्रोजेक्ट को भी काफी नुकसान पहुंचा है. इस हादसे में कई लोगों मारे गए हैं जबकि सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं.


वहीं, उत्तराखंड प्रशासन ने चमोली से लेकर हरिद्वार तक अलर्ट जारी किया है. गंगा किनारे बसे सभी गांवों को खाली कराया जा रहा है और लोगों को वहां ना जाने की सलाह दी जा रही है.


मेरठ में भी अलर्ट
उत्तराखंड हादसे का असर यूपी में भी देखने को मिला है. यूपी के 25 जिलों में अलर्ट जारी किया गया है. वहीं, मेरठ में भी प्रशासन अपनी नजर बनाए हुए हैं. डीएम के बालाजी ने गंगा तट पर बसे गांवों का निरीक्षण किया है. रविवार को डीएम के बालाजी, एडीएम सुभाष प्रजापति, एसडीएम मवाना कमलेश गोयल और सिंचाई विभाग के एसडीओ पंकज जैन के साथ हस्तिनापुर क्षेत्र के खादर इलाके में पहुंचे. अधिकारियों ने फतेहपुर प्रेम में बन रहे तटबंध का निरीक्षण किया. सिंचाई विभाग को जल्द ही तटबंध का काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. उत्तराखंड से आगे बढ़ रहे पानी के चलते खादर क्षेत्र में पांच बाढ़ चौकी बनाई गई हैं, जिनमें मखदुमपुर, दूधली, तारापुर, लतीफपुर और खरकाली पर लेखपालों को तैनात किया गया है. इसी के साथ उन्हें 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं.


गंगा के तट पर स्थित बधवाखेड़ी और मनोहरपुर सहित लगभग आधा दर्जन गांवों को खाली कराने के निर्देश दिए गए हैं. डीएम के बालाजी ने बताया कि फिलहाल मेरठ में बाढ़ जैसा कोई खतरा नहीं है. इसके बावजूद पीएसी और एनडीआरएफ की टीम को भी अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं.


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