अलीगढ़: निशानेबाजी में 24 साल में 35 पदक जीत चुकी अरीबा, ओलंपिक गोल्ड है गोल
निशानेबाज अरीबा ने कहा कि जितने में अभी शॉट चलाती हूं, उससे ज्यादा शोर चलाने के लिए भी ज्यादा कॉटेज की जरूरत पड़ेगी. इसलिए अगर सरकार से कोई मदद मिलती है तो मेरे लिए अच्छी रहेगी.
![अलीगढ़: निशानेबाजी में 24 साल में 35 पदक जीत चुकी अरीबा, ओलंपिक गोल्ड है गोल Aligarh Ariba has won 35 medals in shooting in 24 years and her goal is Olympic gold ann अलीगढ़: निशानेबाजी में 24 साल में 35 पदक जीत चुकी अरीबा, ओलंपिक गोल्ड है गोल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/01/30/1f35161e8a9398d36963b22d343b3d831738202985559899_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Aligarh News: कहते है जिन हाथों से चलना सिखाते है वो पहले हाथ (गुरु) अभिवाहक ही के होते हैं. लेकिन अलीगढ़ की इस होनहार लड़की की कहानी दिलचस्प है. कामयाबी की राह दिखाने वाले और उंगली पकड़कर आगे ले जाने वाले पहले गुरु पापा ही हैं जिनकी वजह से आज देशभर में पापा की गुड़िया अब हर कामयाबी की सीढ़ी चढ़ती हुई नजर आ रही है. अब सपना है अपने देश को दुनिया के सभी देशों से आगे रखने का जिसको लेकर हर रोज तैयारियां की जा रही है, जिससे अलीगढ़ के साथ देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड जीतकर नया इतिहास रचा जा सके. अबतक की अगर बात कही जाए तो 24 वर्षीय अरीबा ने 21 अंतर्राष्ट्रीय और 9 राष्ट्रीय खेल खेल चुकी है. अरीबा 12 बोर की गन का इस्तेमाल करने में अचूक निशानेबाज हैं.
दरअसल, पूरा मामला जिला अलीगढ़ के सिविल लाइन क्षेत्र का है जहां की रहने वाली अरीबा के पिता मो. खालिद भी राष्ट्रीय निशानेबाज रह चुके हैं. उनका बेटा भी राष्ट्रीय निशानेबाजी में परिवार का नाम रोशन कर चुका है. वहीं अरीबा ने लगभग 11 साल की उम्र से अलीगढ़ में ही अपने निशानीबाजी का सफर शुरू किया. अरीबा अपने पिता और भाई के साथ शूटिंग रेंज खेलने जाती थी. इस दौरान एक बार अरीबा ने निशानेबाजी की उसके बाद से आज तक छोड़ी ही नहीं क्योंकि निशानेबाजी का इतना रोमांचकारी अनुभव था कि एक बार करने के बाद अरीबा का निशानेबाजी छोड़ने का दिल ही नहीं किया.
क्या बोली निशानेबाज
अरीबा ने बताया कि मेरे परिवार वाले मुझे बहुत सहयोग करते हैं क्योंकि हमारे घर में सभी चीज सब कुछ सीखने की बात कही जाती है. मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि कोई ऐसा भी खेल है जो सिर्फ लड़के ही कर सकते है. मेरे दादा हमेशा कहा करते थे कि हर लड़के लड़की को स्विमिंग, ड्राइविंग, हॉर्स राइडिंग और शूटिंग सीखना चाहिए. लड़कियों को डरने नहीं चाहिए.
उसने बताया कि मेरे घर का माहौल बहुत अच्छा है. घर वालों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया है. खेलकूद और शिक्षा में लेकिन कुछ ऐसी भी घर है. जहां पर लड़कियों को घर से बाहर नहीं इसलिए निकल जाता कि उनको डर लगता है. इसमें डरने की कोई बात नहीं है. घर से बाहर निकलना चाहिए और हर लड़की को शिक्षा वकील को बच्चों का हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि लड़कियां जितना घर से बाहर निकलेंगे उतना ही आगे बढ़ेंगे और बढ़ पाएंगी.
ओलंपिक गोल्ड मेरा गोल
अरीबा ने बताया कि मैं मेरा इवेंट स्कीट शूंटिंग है और मैं 12 बोर की शॉट गन का इस्तेमाल करती हूं. रोजाना तीन से चार घंटे प्रैक्टिस करती हूं, हालांकि यह गेम बहुत महंगा है क्योंकि इसका ज्यादातर सामान बाहर से इंपोर्ट करवाना पड़ता है. कट्टे से लेकर टारगेट तक सब बहुत महंगा होता है. अरीबा ने बताया कि मेरे पास अपनी गन है और इस निशानेबाजी में यह बहुत जरूरी होता है कि आपके पास अपनी गन हो क्योंकि जो गन का हिस्सा आपके कंधे और गाल पर लगाया जाता हैं. वह आपके मुताबिक ही बनाया जाता जाता है और अगर आपके मुताबिक नहीं होगा तो आपका शर्ट वहां नहीं जाएगा, जहां पर जाना चाहिए.
उसने बताया कि मेरा गोल ओलंपिक में हिस्सा लेकर स्वर्ण पदक जीतना है. भारत का नाम रोशन करना है जिसके लिए मैं अब तक पिछले 10 सालों में 21 अंतर्राष्ट्रीय, 9 राष्ट्रीय, दो राष्ट्रीय गेम और इंटर यूनिवर्सिटी में अब तक कुल लगभग 32 से 35 पदक जीत चुकी हूं. अरीवा ने बताया कि निशानेबाजी एक महंगा गेम है तो अगर सरकार की तरफ से इसमें मेरी थोड़ी मदद हो सकती है तो मेरा ओलंपिक में गोल्ड का गोल हासिल करने में आसानी होगी. क्योंकि ओलंपिक के लिए मुझे दूसरे कोच से भी ट्रेनिंग लेनी है.
अरीबा ने कहा कि जितने में अभी शॉट चलाती हूं, उससे ज्यादा शोर चलाने के लिए भी ज्यादा कॉटेज की जरूरत पड़ेगी. इसलिए अगर सरकार से कोई मदद मिलती है तो मेरे लिए अच्छी रहेगी. अरीबा ने बताया कि मेरे पहले कोच पिता ही मेरे रोल मॉडल है क्योंकि उन्होंने मुझे उंगली पड़कर निशानेबाजी सिखाई है. हमेशा वह मेरे साथ रहते हैं, मेरे साथ ही वह प्रतियोगिता में भाग लेने जाते हैं.
बहन, भाई और पिता में कौन अच्छा शूटर
सवाल की जवाब में अरीबा ने हंसते हुए बताया कि मेरा भाई भी अच्छा शूटर है, लेकिन वह लगातार अभ्यास नहीं करते हैं. मैं लगातार अभ्यास करती हूं, इसलिए मैं अपने भाई और पिता को पीछे छोड़ चुकी हूं. यह इसलिए अभी क्योंकि मैं 2013 से लगातार निशानेबाजी का अभ्यास कर रही हूं. कभी बीच में आराम भी नहीं किया, अपने गोल ओलंपिक में गोल्ड को हासिल करने के लिए.
Ram Mandir: मौनी अमावस्या पर अयोध्या में उमड़ा आस्था का सैलाब, रिकॉर्ड 15 लाख श्रद्धालु पहुंचे
अरीबा के पहले कोच
अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज अरीबा खान के पहले कोच और पिता मोहम्मद खालिद ने बताया कि यह इस अवार्ड से पूरा परिवार खुश है क्योंकि सरकार की तरफ से मिलने वाला अरीबा को यह पहला अवार्ड है. उत्तर प्रदेश का एक बड़ा अवार्ड है जो कि राजभवन में दिया गया था. मोहम्मद खालिद ने बताया कि बचपन से जब अरीबा खान ने बंदूक थामी तो अभी तक नहीं छोड़ी है.
उन्होंने बताया कि इनके बड़े भाई भी अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज हैं. वह हमारे साथ शूटिंग रेंज जाती थी तभी सैनिक को शौक लगा यह बहुत मेहनती हैं. अपने खेल के लिए बहुत ईमानदार हैं. यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियन भी बन चुकी है, इसलिए मुझे उम्मीद है कि यह एक दिन भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करेंगे.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![अनिल चमड़िया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4baddd0e52bfe72802d9f1be015c414b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)