Aligarh News: उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ हार्डवेयर का सबसे बड़ा हब कहा जाता है, यहां बनने वाला ताला विदेशों तक अपना दबदबा जमा चुका है.  अगर अलीगढ़ का नाम कहीं आता है तो सबसे पहले लोग ताले को जरूर याद करते है. राम मंदिर से तमाम ऐसी जगह है जहां अलीगढ़ का ताला अपनी मौजूदगी दर्शाता है. बच्चों के खिलौने प्लास्टिक की बंदूक और छोटी छोटी पिस्टल काफी मात्रा में बनाई जाती है. अब अलीगढ़ ने दो कदम आगे और बढ़ा लिए है.


अलीगढ़ को केंद्र और प्रदेश की सरकार ने डिफेंस कॉरीडोर की सौगात दी थी जिसका कार्य लम्बे समय से चल रहा था. डिफेंस कॉरीडोर को लेकर कई महीने तक जमीन अधिग्रहण की गई उसके बाद अब अलीगढ़ डिफेंस कॉरीडोर में स्थापित हुई फैक्ट्री में हथियार बनना शुरु हो गया है. ये जिले की सबसे बड़ी उपलब्धि है. देश की रक्षा से जुड़े हुए हथियार अब अलीगढ़ में बनाये जाएंगे. अलीगढ़ के अंडला स्थित डिफेंस कॉरिडोर के लिए आवंटित प्लाट नंबर 12 व 15 में 88 करोड़ रुपये के निवेश के बाद हथियार उत्पादक फर्म वेरीविन ने फैक्टरी स्थापित की है.


अमेरिकी कंपनी से अनुबंध के तहत हुई स्थापना
अमेरिकी कंपनी स्मिथ एंड वेसिन के साथ अनुबंधन करने के बाद अलीगढ़ में इस फर्म की शुरुआत हुई है. जिसमें अबतक के अत्याधुनिक व विदेशी तकनीक से लैस हथियारों का उत्पादन होना अप्रैल माह से शुरू हो चुका है. इसकी सबसे पहली खेप अमेरिका भेजे जाने की अब तैयारी चल रही है. अलीगढ़ के डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित देश की नामी कम्पनी वेरीविन डिफेंस कंपनी को हथियारों के विदेशी निर्यात की अनुमति अब मिल चुकी है. अब  बहुत जल्द सेना व कई राज्यों की पुलिस को अलीगढ़ के हथियारों की खेप भेजी जाएगी. इसके लिए कई जगह ट्रायल चलना अब शुरू भी हो चुका  हैं.


अलीगढ़ के डिफेंस कॉरीडोर में जनता व सिविल पुलिस के लिए 32 बोर के रिवाल्वर-पिस्तौल व 357 बोर के रिवाल्वर पिस्तौल बनाना शुरू हो चुका हैं. यहां सेना व पुलिस के लिए 9 एमएम बोर के हथियार भी अबतक सिर्फ ट्रायल के लिए बनाए जा चुके हैं.  मगर 9 एमएम बोर हथियारों के साथ-साथ 32 व 357 बोर हथियारों को अबतक विदेशी निर्यात की तैयारी भी शुरू हो चुकी है. इसके लिए सरकार ने हरी झंडी दिखाते हुए पिछले दिनों विदेशी निर्यात की अनुमति दे दी है.


पहले हथियार फिर कारतूस का होगा भंडारण
अलीगढ़ में बने डिफेंस कॉरीडोर में फिलहाल हथियार बनाये जारहे है,इसकी सफलता के बाद यहां कारतूस भी बनना शुरू हो जायेगा जिसके लिए कारतूस निर्माण को मंजूरी मिलना बताया गया है. वजह है हथियार निर्माण की मंजूरी इस कम्पनी को पहले मिली थी. जिसके बाद लाइसेंस कारतूस निर्माण का लाइसेंस भी मिल गया था. मगर कुछ दिनों तक यहां कागजी कार्यवाही के चलते कारतूस निर्माण की मंजूरी नहीं हो पाई थी.


मगर अब पिछले सप्ताह कारतूस निर्माण की मंजूरी भी सरकार से इस फर्म को मिल गई है. इसके लिए वेरीफिकेशन टीम ने विजिट कर यह मंजूरी दी है. अब बहुत जल्द यहां कारतूस भी बनना शुरू होंगे.इसके लिए विस्फोटक स्टोर की व्यवस्था यहां पहले से  की जा चुकी है. अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में बनने वाले हथियारों की बेसिक कीमत लगभग 1.80 लाख रुपये है. जिस पर सरकारी 18 फीसदी जीएसटी कटने के साथ भारतीय बाजार में 2  लाख  15 हजार रुपये अनुमानित कीमत यहां रहने वाली है.


कम्पनी  वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मोहित शर्मा के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया हमारी कंपनी पिछले कई वर्षों से हथियार निर्माण के क्षेत्र में काम कर रही है. अभी तक हम यहां से भारतीय बाजार में हथियार बेच रहे थे. मगर अब विदेशी निर्यात व कारतूस निर्माण की मंजूरी मिल गई है. हमारे हथियार अमेरिका ट्रायल के लिए भेजे जा रहे हैं. बहुत जल्द ऑर्डर मिलने की भी उम्मीद है. अब भारतीय हथियार विदेश में बिकेंगे.


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