Aligarh News: अलीगढ़ मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर स्थित तेहरा गांव के समीप नहर किनारे बनी आलीशान कोठी आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है,कोठी का निर्माण 1910 में अंग्रेजों के द्वारा कराया गया था, जब अंग्रेज कोठी को छोड़कर गए तो उसके बाद से ही यहां सिंचाई विभाग के द्वारा अपना कार्यालय बना दिया गया, गिदोली के नाम से मशहूर यह कोठी आसपास क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र है इस कोठी को देखने के लिए लोग यहां दूर-दराज से आते हैं.


कोठी में मौजूद है अंग्रेजों के घोड़ों का अस्तबल व फांसीघर
अंग्रेजों के जमाने की बनी हुई इस कोठी में अंग्रेजों के अस्तबल से लेकर विरोधियों को फांसी देने का फांसीघर भी यहां मौजूद है, पुराने लोग बताते हैं फांसी घर और अस्तबल में अंग्रेजों के जमाने की कुछ उपकरण रखे हुए थे जिन्हें आसपास के लोग दीवार तोड़कर ले गए साथ ही अस्तबल और फांसी घर को भी लोगों के द्वारा जर्जर कर दिया गया लेकिन जिस कोठी में सिंचाई विभाग का कार्यालय है वह कोठी आज भी आकर्षण का केंद्र है.


प्रत्येक ईंट का वजन 5 किलो से है ज्यादा
अंग्रेजों के द्वारा बनवाई गई कोठी में लगी ईटों का वजन 5 किलो की ईंट से भी ज्यादा है जहां आमतौर पर एक ईट में डेढ से ढाई किलो का वजन होता है लेकिन अंग्रेजों के द्वारा 1910 में बनाई गई कोठी में लगी ईटों का वजन 5 किलो से ज्यादा है यही कारण है इस कोठी में लगी दीवार काफी मजबूत है.


बिना लेंटर और गाटर के बनी है छत
अंग्रेजों के द्वारा बनाई गई इस कोठी की खूबसूरती के साथ-साथ अक्लमंदी का भी पूरा प्रयोग इस कोठी में किया गया है अंग्रेजों के द्वारा बनाई गई इस कोठी की छत में महज ईंटों का उपयोग किया गया है ईंटों से इसकी छत को पाठ कर लेंटर जैसी आकृति का बनाया गया है ना तो इसमें लेंटर का प्रयोग किया गया और ना ही इसमें गाटर लगाए गए हैं. खूबसूरती के साथ-साथ कोठी की छत आकर्षण का मुख्य रूप है.


सिंचाई विभाग के मेट के पद पर मौजूद रामवीर सिंह के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया 1910 में बनी कोठी को सिंचाई विभाग को सौंप दिया गया था. सिंचाई विभाग के द्वारा यहां अपना कार्यालय बनाया हुआ है. आसपास के कई दर्जन से ज्यादा गांव सिंचाई विभाग के क्षेत्र में आते हैं कोठी का नाम गिदोली कोठी के नाम से भी पहचाना जाता है. लोग यहां कोठी को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.


पुलिस विभाग ने मांगी थी कोठी, सिंचाई विभाग ने किया इनकार
सिंचाई विभाग के कर्मचारी रामवीर सिंह के अनुसार कोठी की मांग पुलिस विभाग के द्वारा की गई थी. पुलिस विभाग इस कोठी में अपना कार्यालय बनाना चाहता था लेकिन सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा इस बात से इनकार कर दिया. आलीशान होने के साथ-साथ यह कोठी क्षेत्रफल में भी कई बीघा में बनी हुई है यही कारण पुलिस विभाग कोठी को अपना कार्यालय बनाना चाहता था लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारियों के द्वारा पुलिस विभाग को यह कोठी नहीं दी गई.


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